हजारीबाग: करमा पर्व को लेकर पूरी तैयारी के साथ देर रात्रि हर्षोल्लास के साथ कई हिस्सों में मनाया जा रहा है. यह पर्व सितंबर के आसपास भादो के एकादशी को करमा पर्व मनाया जाता है। भाई की सुख समृद्धि के लिए गांव भर की बहने उपवास करती है।
यह पर्व झारखंड के आदिवासी मूलवासी सभी मिलकर मनाते हैं। कर्मा झारखंड के आदिवासियों का एक प्रमुख त्योहार है। इस मौके पर पूजा करके आदिवासी अच्छे फसल की कामना करते हैं।
साथ ही बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए प्रार्थना करती है। करमा के अवसर पर पूजा प्रक्रिया पूरा होने के बाद झारखंड के आदिवासी मूलवासी ढोल मांदर और नगाड़ा के थाप पर झूमते है एवं सामूहिक नृत्य करते हैं।
यह पर्व सभी लोगों के लिए परंपरा की रक्षा के साथ-साथ मनोरंजन का भी एक अच्छा साधन है जहां पुरुष रात में पेय पदार्थों का सेवन कर पूरी रात नाचते गाते हैं और यह दृश्य देखना भी आंखों को सुकून देती है।
यह पर्व झारखंड के साथ-साथ अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश उड़ीसा एवं बंगाल के आदिवासियों द्वारा भी धूमधाम से मनाया जाता है।इसके अलावा प्रातः कालीन होते ही गांव का भ्रमण करते हुए करम की डाली को जलाशय में विसर्जन भी करेंगे।