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Saturday, April 20, 2024

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महापर्व छठ: खरना पूजा आज, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

रांची : चार दिवसीय महापर्व छठ का आज दूसरा दिन है. छठ के दूसरे दिन यानि आज खरना पूजा है.

पहले दिन नहाय खाय की परंपरा निभाई गई और आज 29 अक्टूबर 2022 को

दूसरे दिन खरना की परंपरा का निर्वहन किया जाएगा.

छठ का पर्व सूर्य देव की उपासना के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.

छठ को सूर्य षष्ठी भी कहते हैं. इसमें व्रती संतान की सुख-समृद्धि, लंबी आयु के लिए

36 घंटे अन्न, जल का त्याग करती है. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ये व्रत शुरू हो जाता है.

आइए जानते हैं खरना का मुहूर्त, विधि और नियम

छठ पूजा 2022 खरना मुहूर्त

कार्तिक माह की पंचमी तिथि का दिन खरना कहलाता है. इसे लोहंडा के नाम से भी जाना जाता है.

खरना के दिन महिलाएं शाम को मीठा भोजन कर व्रत शुरू करती हैं.

  • सूर्याेदय – प्रातः 06 बजकर 31 मिनट पर
  • सूर्याेस्त – शाम 05 बजकर 38 मिनट पर

महापर्व छठ: खरना 2022 शुभ योग (Kharna 2022 Shubh yoga)

शुभ योग में खरना मनाया जाएगा. इस दिन रवि और सुकर्मा योग बन रहे हैं

जिससे इस दिन की महत्व और बढ़ गया है. रवि योग में सूर्य की

विधि-विधान से पूजा की जाए तो व्यक्ति की कुंडली से सूर्य का दुष्प्रभाव दूर हो जाता है.

  • रवि योग – 06.31 AM – 09.06 AM
  • सुकर्मा योग – 10.23 PM – 07.16 PM, अक्टूबर 30

खरना महत्व (Kharna Significance)

खरना का अर्थ है खरा यानी कि शुद्धिकरण. नहाए खाए में जहां बाहरी यानी कि तन की स्वच्छता करते हैं तो वहीं खरना में आंतरिक यानी कि मन की स्वच्छता पर जोर दिया जाता है. खरना के दिन महिलाएं शाम के समय चूल्हे पर गुड़ी की खीर और साठी के चावल का का भोग बनाती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार खरना पूजा के साथ ही छठी मइया घर में प्रवेश कर जाती हैं और महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है.

महापर्व छठ: खरना विधि (Chhath Puja 2022 Kharna Vidhi)

खरना पूजन के दिन छठ व्रती सूर्योदय से पूर्व स्नान कर सबसे पहले सूर्य देवता को अर्घ्य दें. शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी लगाकर साठी के चावल, गुड़ और दूध की खीर बनाई जाती है. इस दिन एक टाइम ही भोजन किया जाता है.

प्रसाद सबसे पहले छठी मईया को अर्पण करें और फिर व्रती यही भोजन खाएं और फिर घर के बाकी सदस्य यही खाना खाएं.

इसके बाद से अन्न, जल का 36 घंटे के लिए त्याग कर निर्जला व्रत किया जाता है. इस उपवास का समापन छठ पूजा के चौथे दिन भोर अर्घ्य के साथ खत्म होगा.

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