रांची/पटना : लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर पूरे बिहार और झारखंड में उत्साह चरम पर है.
Highlights
छठ के गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है.
इन सबके बीच आज अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा.
वहीं कल उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण होगा.
महापर्व छठ को लेकर बिहार, झारखंड सहित पूरे देश में भक्ति व उललास का वातावरण है.
हर ओर छठी मैया के गीत सुनायी दे रहे हैं. घाटों की सफाई हो चुकी है.
साज-सज्जा भी हो गई है. रंगीन लाइटों से घाटों को सजाया गया है.
पूजा समितियों द्वारा जलाशय तक आने वाले मार्ग में जगह-जगह तोरण द्वार बनाये गए हैं.
दो साल के बाद छठ घाटों पर आस्था का अनुपम नजारा देखने को मिलेगा.
रविवार को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
खास होता है छठ पूजा का तीसरा दिन
महापर्व का तीसरा दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है. ये छठ पूजा का सबसे प्रमुख दिन होता है. इस दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. महिलाएं दूध और पानी से सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं. वहीं पूजन सामग्री में बांस की टोकरी में फल, फूल, ठेकुआ, चावल के लड्डू, गन्ना, मूली, कंदमूल और सूप रखा जाता जाता है. इस दिन जैसे ही सूर्यास्त होता है परिवार के सभी लोग किसी पवित्र नदी, तालाब या घाट पर एकत्रित होकर एक साथ सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं.
छठ पूजा 2022 संध्या अर्घ्य
छठ पूजा के दौरान सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने का खास महत्व होता है. संध्या अर्घ्य 30 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 34 मिनट पर दिया जाएगा. इसके बाद अगले दिन 31 अक्तूबर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा. इस समय सूर्य देव को अर्घ्य देना शुभ रहेगा.
सूर्य देव कैसे दें अर्घ्य ?
छठ पूजा में सूर्यदेव की पूजा और उन्हें अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है. षष्ठी तिथि पर सभी पूजन सामग्री को बांस की टोकरी में रख लें. नदी, तालाब या जल में प्रवेश करके सबसे पहले मन ही मन सूर्य देव और छठी मैया को प्रणाम करें. इसके बाद सूर्य देव और अर्घ्य दें. सूर्य को अर्घ्य देते समय “एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर” इस मंत्र का उच्चारण करें.
परिवार और संतान की लंबी उम्र की कामना
इस दिन महिलाएं अपने परिवार, बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. छठी माता और सूर्य देव से घर में सुख समृद्धि की मांग करती हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से छठी माता व्रत करने वाली महिलाओं के परिवार और संतान को लंबी आयु और सुख समृद्धि का वरदान देती हैं.