कुड़मी समाज का 15 दिन का अल्टीमेटम खत्म, सरकार की चुप्पी जारी। घाटशिला उपचुनाव के बहिष्कार की चेतावनी के बाद आंदोलन तेज़ होने की तैयारी।
Kudmi ST Demand: झारखंड में कुड़मी समुदाय (Kudmi Community) की अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किए जाने की माँग पर अब हालात और गर्माने लगे हैं। समुदाय ने राज्य और केंद्र सरकार को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया था, जो अब समाप्त हो चुका है। इसके बावजूद न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र की ओर से इस मुद्दे पर कोई ठोस पहल देखने को मिली है।
कुड़मी समाज के नेताओं ने चेतावनी दी थी कि अगर उनकी माँग पर चर्चा नहीं की गई, तो वे घाटशिला उपचुनाव का बहिष्कार करेंगे। अब जबकि अल्टीमेटम की मियाद पूरी हो चुकी है, समाज के भीतर आंदोलन को और तेज़ करने की रणनीति पर मंथन शुरू हो गया है।
Kudmi ST Demand
समुदाय के प्रतिनिधियों का कहना है कि वर्षों से उन्हें उनकी जनजातीय पहचान से वंचित रखा गया है। उनका तर्क है कि ऐतिहासिक दस्तावेज़ों और सामाजिक प्रमाणों के आधार पर कुड़मियों को ST सूची में शामिल किया जाना चाहिए। फिलहाल, सरकार की चुप्पी से समुदाय में नाराज़गी बढ़ती जा रही है।
Key Highlights:
कुड़मी समाज ने ST में शामिल करने को लेकर सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था।
तय समय बीतने के बावजूद सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
घाटशिला उपचुनाव के बहिष्कार की चेतावनी पहले ही दी जा चुकी है।
अब समुदाय के नेता नई रणनीति बनाने में जुटे हैं।
आंदोलन को राज्यव्यापी रूप देने की तैयारी।
Kudmi ST Demand
जानकारों के मुताबिक, घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में कुड़मी मतदाताओं की संख्या लगभग 11,000 है, जबकि कुल आबादी 2.55 लाख के करीब है। यह संख्या चुनावी समीकरणों को प्रभावित करने में सक्षम है। ऐसे में घाटशिला उपचुनाव में कुड़मी समाज का रुख राजनीतिक दलों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार, कुड़मी समाज अब राज्यव्यापी जनजागरण अभियान चलाने और राजधानी रांची में धरना-प्रदर्शन की योजना बना रहा है। आंदोलन की अगली रणनीति अगले सप्ताह घोषित की जा सकती है।
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