धनबाद: झारखंड सरकार ने झारखंड पेट्रिलियम डीलर एसोसिएशन के बंदी को अवैध घोषित किया है. इसके बावजूद झारखंड पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन ने पूर्व निर्धारित योजना के मुताबिक एक दिवसीय बंदी आयोजित की है. भारत में कुछ माह पहले अचानक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि हो गयी. जिसके बाद केन्द्र सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से नागरिकों को राहते देते हुए मूल्य में कमी की गयी. इसके अलावा कई राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों के कर में छूट दी गयी. लेकिन झारखंड में विपक्ष और एसोसिएशन के मांग के बाद भी कर में कोई छूट नहीं दी गयी. जिसके बाद पूर्वनिर्धारित तिथि के अनुसार मंगलवार को बारह घंटे की बंदी झारखंड पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन ने बुलाई है.
एसोशिएशन के सदस्यों की मानें तो डीजस से वैट की दरों में कमी नहीं होने, बयाडीजल के नाम पर मिलावटी डीजल सप्लाी, कोरोना काल और चुनाव के दौरान लिए गए डीजल की राशि का भुगतान पंप सचालकों को नहीं किया गया है. जिसे लेकर झारखंड के सभी पेट्रोल पंप के संचालक हड़ताल पर हैं. इससे राज्य सरकार को एक दिन में करीब 10 करोड़ से भी अधिक का राजस्व नुकसान होने की संभावना है. मंगलवार को आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खासकर रोजमर्रा की जिंदगी में जिन्हें पेट्रोल-डीजल की जरूरत होती है. उन्हें पेरशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खासकर मजदूरों और नौकरी करने वालों को पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति नहीं होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
सरकार के विशेष सचिव चंद्रशेखर प्रसाद ने झारखंड पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के इस बंद को अवैध बाताया है. उनका कहना है कि एसेंशियल कमोडिटी एक्ट 1955 की धारा 2 के तहत पेट्रोलिय पदार्थ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के अधीन है. इस अधिनियम के तहत पेट्रोलिय पदार्थों की बिक्री को बाधित करना सरकार के स्थापित नियमों और अधिनियमों के खिलाफ है. वहीं दूसरी ओर जेपीडीए ने डीजल पर वैट की दर को 22 प्रतिशत से 17 प्रतिशत करने और सरकारी बकाया राशि के भुगतान की मांग को लेकर एक दिवसीय बंद का ऐलान किया है.
रिपोर्ट- धनबाद
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