रांची : पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा (Ex chief minister Madhu Koda) ने स्थानीयता के मुद्दे
पर अपना लिखित सुझाव सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भेज दिया है.
पत्र में उन्होंने लिखा है कि 1932 के आधार वर्ष को संशोधित कर खतियान आधारित किया जाय.
ग्रामसभा को प्रदत अधिकारों, जिम्मेदारियों
और कर्तव्यों को स्पष्ट करते हुए संवैधानिक रूप से अधिनियमित किया जाय.
ये प्रस्ताव मंजूर नहीं
पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने अपने पत्र के माध्यम से कहा है कि स्थानीयता को परिभाषित करते हुए जो
प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है, उसमें यह लिखा गया है कि जो झारखंड राज्य के भौगोलिक सीमा में
निवास करता हो एवं स्वयं अथवा उसके पूर्वज का नाम 1932 अथवा उसके पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो.
दूसरा यह कि भूमिहीन के मामले में उसकी पहचान संबंधित ग्राम सभा द्वारा की जायेगी,
जो झारखण्ड में प्रचलित भाषा, रहन-सहन, वेश – भूषा, संस्कृति एवं परम्परा इत्यादि पर आधारित होगी.
लाखों लोग स्थानीयता से मिलने वाले लाभ से हो जायेंगे वंचित
उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव में वर्णित स्थानियता का आधार 1932 का खतियान मान लेने से
कोल्हान प्रमंडल अन्तर्गत जिला क्षेत्रों में निवास करने वाले स्थानीय लोग इस परिधि से बाहर हो जायेंगे.
कोल्हान प्रमंडल अन्तर्गत निवास कर रहे अधिकांश लोग हाल सर्वे सेटलमेंट 1934, 1958 एवं 1964-65 1970-72 आदि का जमीन पट्टा और खतीयान धारक हैं, जिसकी वजह से पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और सराइकेला- खरसांवा के लाखों लोग स्थानीयता से मिलने वाले लाभ से वंचित हो जायेंगे.
खतियान आधारित हो स्थानीयता
मधु कोड़ा ने कहा कि प्रस्ताव में खतियान आधारित वर्ष 1932 को विलोपित कर केवल खतियान आधारित स्थानीयता को दर्ज किया जाय. ग्रामसभा को संवैधानिक अधिनियमित नियम रूप से ग्राम सभा की कृत्य शक्ति, कर्तव्यों एवं जिम्मेदारी को सुस्पष्ट परिभाषित किया जाय. बता दें कि इससे पहले उनके द्वारा मुख्यमंत्री सचिवालय से मिलने का समय मांगा गया, लेकिन व्यस्तता की वजह से समय नहीं मिल पाया. जिसके बाद मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा. गौरतलब है कि अभी हाल ही में झारखंड कैबिनेट में 1932 खतियान को पास किया गया.
रिपोर्ट: शाहनवाज