रांची: राजधानी रांची के गेतलसूद डैम में बारिश के कारण जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और डैम का स्तर 28.50 फीट तक पहुंच चुका है।
स्थिति यह है कि डैम से बार-बार फाटक खोलकर पानी छोड़ा जा रहा है, लेकिन यह पानी बेकार जा रहा है क्योंकि सिकिदिरी हाइडल पावर प्लांट तकनीकी खामी के कारण बंद पड़ा है।
सिकिदिरी हाइडल पावर प्लांट की कुल क्षमता 130 मेगावाट है, जिसमें दो यूनिट (प्रत्येक 65 मेगावाट) शामिल हैं। फिलहाल यूनिट नंबर-1 में पेनस्टॉक की जाली खराब हो गई है।
पेनस्टॉक वह क्षेत्र होता है, जहां से बिजली उत्पादन के लिए पानी स्टोर किया जाता है। दोनों यूनिट एक ही पेनस्टॉक से जुड़े होने के कारण जब तक यह जाली ठीक नहीं हो जाती, तब तक बिजली उत्पादन संभव नहीं है।
प्लांट प्रबंधन ने बताया कि पेनस्टॉक के लिए नया डिजाइन आईआईटी रुड़की से बनवाया गया है और जल्द ही मरम्मत कार्य पूरा कर बिजली उत्पादन शुरू किया जाएगा।
जानकारों का कहना है कि गर्मी के मौसम में जब सिकिदिरी हाइडल पावर प्लांट बंद रहता है, उसी समय मरम्मत कार्य करा लेना चाहिए था। लेकिन अब जबकि मानसून सक्रिय है और गेतलसूद डैम पानी से लबालब है, तब जाकर मरम्मत की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस देरी के कारण डैम से छोड़ा जा रहा पानी बिना किसी उपयोग के बह रहा है।
गौरतलब है कि सिकिदिरी हाइडल प्लांट से उत्पादित बिजली बेहद सस्ती दर (₹1.50 प्रति यूनिट) पर जेवीवीएनएल को मिलती है, जो अब ठप है।
इससे न केवल ऊर्जा उत्पादन प्रभावित हो रहा है, बल्कि सार्वजनिक संसाधनों का भी नुकसान हो रहा है। बारिश के मौसम में जब जल उपलब्धता भरपूर है, तब इस तकनीकी खामी के चलते बिजली उत्पादन ठप हो जाना प्रबंधन की बड़ी चूक को दर्शाता है।
अब जबकि आईआईटी रुड़की की मदद ली जा रही है, उम्मीद है कि जल्द समाधान होगा, लेकिन इस बीच राज्य को सस्ती बिजली और पानी दोनों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।