नेशनल डैक्स : मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने शनिवार को 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट का यह फैसला 19 अप्रैल 2025 को अंतिम दलीलें पूरी होने के बाद सुरक्षित रखा गया था।
इस केस में 2018 से सुनवाई चल रही थी, जिसमें कुल 323 गवाहों की गवाही ली गई। हैरानी की बात यह रही कि इनमें से 34 गवाह अपने पहले दिए गए बयानों से मुकर गए। अदालत के अनुसार, मामले में एक लाख से अधिक पन्नों की दस्तावेजी सामग्री और सबूत प्रस्तुत किए गए थे, जिनकी गहन समीक्षा में अतिरिक्त समय लगा।
फैसले के दिन विशेष एनआईए न्यायालय ने सभी आरोपियों की उपस्थिति अनिवार्य की थी और स्पष्ट चेतावनी दी थी कि अनुपस्थिति पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाकों से जुड़ा है, जिसमें 6 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।
मालेगांव ब्लास्ट 2008 – अदालती फैसले के मुख्य बिंदु :
सभी सात आरोपी बरी
कुल 323 गवाहों से पूछताछ
34 गवाह अपने बयान से पलटे
एक लाख से ज्यादा पन्नों के दस्तावेज
अदालत को फैसला सुनाने में अतिरिक्त समय की जरूरत पड़ी
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