हजारीबाग : बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता, जिनके कठिन परिश्रम से भारतीय संविधान की रचना हो सकी. हमारा संविधान राष्ट्रीय नेताओं की दूर दृष्टि का प्रतिफल है, जो हमें अधिकार के साथ-साथ कर्तव्य के प्रति भी चेतना का एहसास कराता है. उक्त बातें सदर विधायक मनीष जायसवाल ने राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में विनोबा भावे विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में शुक्रवार को संविधान दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में कही.
उन्होंने कहा कि वर्तमान पाठ्यक्रम में दो चीजें काफी जरूरी है. एक तो संविधान को पढ़ना और दूसरा राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना. उन्होंने नो योर कस्टिट्यूशन का संदेश दिया. अपने संक्षिप्त संबोधन में विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि भारतीय संविधान की मूल प्रति में भारतीय संस्कृति की झलक प्रतिबिंबित होती है, जिसमें भगवान श्री राम, कृष्ण और ऋषि मुनियों के आदर्शों का जिक्र है.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव ने कहा कि भारतीय संविधान विश्व का अनूठा संविधान है, जिसमें राष्ट्र वासियों के लिए उनके मार्गदर्शन के लिए हर बिंदु पर अलग-अलग विवरण प्रस्तुत किया गया है. कुलपति ने कहा कि भारतीय संविधान गणतंत्र लोकतंत्र धर्मनिरपेक्ष समाजवाद का अनूठा संगम है जिसमें प्रत्येक जनता की भागीदारी स्पष्ट है.
रिपोर्ट : आशिष
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