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माता का आनोखा मंदिर जहां महिलाओं के प्रवेश पर है पूरी पाबंदी, प्रतिमा के बदले 64 योगिनी की होती है पूजा
भागलपुर : भागलपुर जिले के नवगछिया में माता का आनोखा मंदिर जहां महिलाओं के प्रवेश पर पूरी पाबंदी है। 1526 में चंदेल वंश के राजा प्रताप राव ने कामाख्या मंदिर असम से माता की अखंड ज्योति ला कर स्थापना की थी। जिसकी पूजा होती है। नवरात्र में नौ दिन अखंड ज्योति और कलश की पूजा होती है। यहां मूर्ति की पूजा नहीं होती है। इसके साथ ही 64 योगिनी की पूजा अर्चना होती है।
मां दुर्गा की पूजा शक्ति की पूजा मानी जाती है
आपको बता दें कि मां दुर्गा की पूजा शक्ति की पूजा मानी जाती है। इस पूजा में महिलाओं की सबसे ज्यादा समभागिता होती है। हिंदू संस्कृति में हरेक शुभ कार्य और पूजन कार्य में महिलाओं की प्रसांगिकता है। किसी मंदिर में महिलाओं के लिए कोई पाबंदी नहीं होती है। लेकिन भागलपुर में ऐसा मंदिर है जहां मंदिर के अंदर महिलाओं के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध है।
प्रतिमा पूजन की नहीं है परंपरा, महिलाओं का प्रवेश निषेध
महिलाएं बाहर से पूजा अर्चना कर चली जाती हैं। भागलपुर के नवगछिया में राजेंद्र कॉलोनी में स्थित पुनामा प्रताप नगर वाली भगवती महारानी की। यहां साढ़े 500 साल से पूजा अर्चना होती है। 1526 में चंदेल वंश के राजा प्रताप राव ने कामाख्या मंदिर असम से माता की अखंड ज्योति ला कर स्थापना की थी जिसकी पूजा होती है। नवरात्र में नौ दिन अखंड ज्योति और कलश की पूजा होती है। यहां मूर्ति की पूजा नहीं होती है। इसके साथ ही 64 योगिनी की पूजा अर्चना होती है। जब अखंड ज्योति लाई गई थी। तभी यह कहा गया था कि महिलाएं गर्भ गृह में प्रवेश नहीं करेंगी। तब से ही यह प्रथा चली आ रही है और महिलाएं बखूबी परंपरा का निवर्हन करती हैं।
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राजीव ठाकुर की रिपोर्ट