रांची : झारखंड विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र थोड़ी देर में शुरू हो जायेगा.
विशेष सत्र में शामिल होने के लिए विधायक भी पहुंचने लगे हैं. मॉनसून सत्र के इस विस्तारित सत्र में
सरकार दो विधेयक लेकर आयेगी. दोनों ही बिल में नौंवीं सूची में शामिल करने का प्रस्ताव है.
दोनों ही बिल के प्रावधानों को लागू करने के लिए गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाली जायेगी.
बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में विधानसभा का यह सत्र महत्वपूर्ण होगा.
इसके पहले बीते पांच सितंबर को भी हेमंत सोरेन सरकार ने विधानसभा का
एकदिवसीय विशेष सत्र बुलाकर विश्वास मत का प्रस्ताव पारित किया था.
बन जाएगा नया रिकॉर्ड
अब 70 दिनों के अंतराल में एक और विशेष सत्र बुलाए जाने के साथ राज्य में कार्यवाही के इतिहास में एक और नया रिकॉर्ड बन जाएगा. झारखंड विधानसभा के पिछले 23 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार होगा, जब दो नियमित सत्रों मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र की अंतराल अवधि में दो बार विशेष सत्र बुलाए गए हों. पिछले दिनों सीएम सोरेन ने कहा था कि 11 नवंबर राज्य के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा क्योंकि विधानसभा स्थानीय निवासियों की पहचान करने और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के लिए 1,932 भूमि रिकॉर्ड से संबंधित विधेयक पारित करेगी.
लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है सरकार- बिरंची
सत्र के बारे में बोलते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता बोकारो विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि मैं 1932 की खतियान आधारित स्थानीय नीति को लागू करने और ओबीसी को आरक्षण देने में सरकार को शुभकामनाएं देता हूं. हम इन विधेयकों का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि छह महीने पहले मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा था कि 1932 की स्थानीय नीति को लागू नहीं किया जा सकता है. आश्चर्य होता है कि क्या बदल गया. यह सरकार केवल लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना चाहती है.
उन्होंने कहा कि वह ओबीसी के लिए भी आरक्षण लागू करेंगे. हम भी चाहते हैं कि ओबीसी को आरक्षण मिले. हालांकि, मेरा मानना है कि ईडी की कार्रवाई से जनता का ध्यान हटाने के लिए ऐसा किया जा रहा है.
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