रांची: ना आमंत्रण ना निमंत्रण फिर भी कैसा अतिथि है ई,कि हम लोगों के पैसे पर घुमता फिरता है खाता पीता है, और गरिया के चला जाता है चाहता क्या है ई अतिथि, राजा जी कुछ नहीं बोल रहा है इसका मतलब ई नहीं की सब सही हो रहा है, ऐकर पास अपन दिमाग है कि नहीं राजा जी का संसाधन जनता का है ऐकर नहीं है।
राजा जी नियम में बंधल हैं इसीलिए कुछ नहीं कर रहे हैं लेकिन ई अतिथि एकर नाजायज फायदा उठा रहा है, ई अतिथि कम चलाक वकील ज्यादा लग रहा है जो नियम को तोड़कर अपने हिसाब से अपने फायदा के लिए इसका उपयोग कर लेता है लेकिन यह गलत है। अब अतिथि का परिभाषा बदलना होगा। राजाजी पहल करेंगे और बताएंगे का होता है अतिथि और क्या होता है राजनेता ई लोग नियम की आड़ में मौज मस्ती कर रहा है राजा जी सब समझ गए हैं रुकिए जरा संभालिए जरा नहीं तो संभाल दिया जाएगा।
ई का अस्तर हो गया है, यहां के नेतवन का हमको कुछ नहीं चाहिए जेते बिल हुआ है हमको भेज दे हम भर देंगे लेकिन हम तो आएंगे घूमेंगे फिरेंगे कार्यकर्ताओं से बोलेंगे बताएंगे तभी तो ई राजा को गद्दी से उतारेंगे।
चाहत का है इलोग , हम आना छोड़ दे नहीं बतीयाएगें अपने कार्यकर्ताओं से ऐसे ही लूटने दे झारखंड को ऐसा नहीं होने देंगे, हम रोकेंगे राजा और उनके नेतावन को, ई करने से हमको कोई नहीं रोक सकता।
तीन महीना बाद राजा जी का चुनाव है उसी के तैयारी में लागल है ना ई सब, इस बार ई राजा को हम जितने नहीं देंगे, बहुत लूट लिया है विदेशी को भी बसा लिया है, पूरा डेमोग्राफी ही चेंज कर रहा है ई राजा सब कुछ कर ले जनता ई राजा के साथ नहीं है इस बार राजा बदलेगा और जनता नया राजा चुनेगी राज्य की नई गाथा लिखेगी । ईलोग एड़ी-चोटी का जोर लगा ले कुछ नहीं कर पाएगा