New Year मां अरण्य देवी के मंदिर में उमड़ेगी भीड़, सारी तैयारी पूरी…

New Year

New Year के अवसर पर मां आरण्य देवी मंदिर में उमड़ेगी भक्तों की भीड़, तैयारी पूरी। ट्रस्ट की ओर से भक्तों के बीच होगा नि:शुल्क प्रसाद का वितरण। ट्रस्ट के पदाधिकारियों और सदस्यों ने तैयारी का लिया जायजा

भोजपुर: नववर्ष के मौके पर बुधवार को आरा की अधिष्ठात्री मां आरण्य देवी के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी। इसको लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है। नववर्ष के मौके पर मां आरण्य देवी मंदिर विकास ट्रस्ट द्वारा भक्तों के बीच नि:शुल्क प्रसाद का वितरण किया जाएगा। इसको लेकर मंदिर परिसर में स्टाल लगाए जाएंगे। वही मंदिर में नव निर्माण के लिए दान और सहयोग देने वालों के लिए अतिरिक्त काउंटर लगाया जाएगा।

मां आरण्य देवी मंदिर विकास ट्रस्ट के मीडिया प्रबंधक कृष्ण कुमार ने बताया कि 1 जनवरी (बुधवार) 2025 को मां आरण्य देवी मंदिर में भक्तों की अपार भीड़ होने की संभावना को देखते हुए विशेष व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर में सजावट एवं लाइटिंग का कार्य किया गया है। मंदिर में देवी दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु-भक्त भैरव बाबा के मंदिर के बगल वाली गली से प्रवेश करेंगे। पूजा-अर्चना के बाद मुख्य द्वार से भक्तो की निकासी होगी। मंदिर परिसर में ही भक्तों के बीच ट्रस्ट द्वारा प्रसाद के रुप में बुंदिया का वितरण किया जाएगा।

भीड़ की संभावना को देखते हुए महिला एवं पुरुष पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति हेतू वरीय पुलिस अफसर और स्थानीय थाना को सूचना दी गई है। नववर्ष के मौके पर मां आरण्य देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ की संभावना को देखते हुए मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते में अस्थायी दुकानें खुल गई है। जहां फूल, माला और प्रसाद की बिक्री की जा रही है।

आरा की अधिष्ठात्री देवी है मां आरण्य देवी

आरा की आरण्य देवी का मंदिर द्वापरकालीन है। द्वापर युग में यहां पांडवों ने देवी का दर्शन किया था। इस मंदिर सालोंभर श्रद्धालु- भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है। चैत्र तथा शारदीय नवरात्र में यहां तिल रखने की जगह नहीं होती है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां पशु बलि नहीं दी जाती है। बल्कि मां को नारियल चढ़ाया जाता है।

आरा शहर के नामकरण की प्रचलित हैं तीन कहानियां

आरा। आरा एक अति प्राचीन शहर है। आरा शहर के नामकरण की प्रचलित कथा कहानियों के अनुसार इसके ऐतिहासिक होने के प्रमाण भी मिलते रहते है, महाभारतकालीन अवशेष यहां के बिखरे पड़े हैं। पुराणों में लिखित मोरध्वज की कथा से भी इस नगर का संबंध बताया जाता है द्वापर युग में राजा मोरध्वज के समय चारों ओर वन था। घने जंगल से घिरा होने के कारण ये ‘आरण्य क्षेत्र’ के नाम से भी जाना जाता था। महाभारत काल में पांडवों ने भी अपना गुप्त वासकाल यहां बिताया था, बताया जाता है कि घने जंगल के बीच उक्त स्थल पर प्राचीन काल में सिर्फ आदिशक्ति की प्रतिमा थी।

पांडवों ने की थी आदिशक्ति की पूजा-अर्चना

ऐसा कहा जाता है की मां ने युधिष्ठिर को स्वपन में संकेत दिया कि वह आरण्य देवी की प्रतिमा स्थापित करें। तब धर्मराज युधिष्ठिर ने मां आरण्य देवी की प्रतिमा स्थापित की थी। इसके बाद ‘आरण्य क्षेत्र’ आरण्य देवी के क्षेत्र से बहुत प्रसिद्ध होता गया। दूसरी कहानी जेनरल कनिंघम के अनुसार हवेगसांग द्वारा उल्लिखित कहानी का संबंध, जिसमें अशोक ने दानवों के बौद्ध होने के संस्मरणस्वरूप एक बौद्ध स्तूप खड़ा किया था, इसी स्थान से है।

आरा के पश्चिम स्थित मसाढ़ ग्राम में प्राप्त जैन अभिलेखों में उल्लिखित ‘आराम नगर’ नाम भी इसी नगर के लिए आया है। तीसरी कहानी के अनुसार बुकानन ने इस नगर के नामकरण में भौगोलिक कारण बताते हुए कहा कि गंगा के दक्षिण ऊंचे स्थान पर स्थित होने के कारण, अर्थात्‌ आड या अरार में होने के कारण, इसका नाम ‘आरा’ पड़ा।

आरण्य देवी मंदिर में एक साथ विराजती मां सरस्वती और महालक्ष्मी

आरण्य देवी मंदिर में स्थापित बड़ी प्रतिमा को जहां सरस्वती का रूप माना जाता है, वहीं छोटी प्रतिमा को महालक्ष्मी का रूप माना जाता है। इस मंदिर में वर्ष 1953 में श्रीराम, लक्ष्मण, सीता, भरत, शत्रुध्न व हनुमान जी के अलावे अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित की गयी थी। बताया जाता है कि उक्त स्थल पर प्राचीन काल में सिर्फ आदिशक्ति की प्रतिमा थी। इस मंदिर के चारों ओर वन था। पांडव वनवास के क्रम में आरा में ठहरे थे।

पांडवों ने आदिशक्ति की पूजा-अर्चना की। मां ने युधिष्ठिर को स्वपन् में संकेत दिया कि वह आरण्य देवी की प्रतिमा स्थापित करे। धर्मराज युधिष्ठिर ने मां आरण्य देवी की प्रतिमा स्थापित की। कहा जाता है कि भगवान राम जी, लक्ष्मण जी और विश्वामित्र जी जब बक्सर से जनकपुर धनुष यज्ञ के लिए जा रहे थे तो आरण्य देवी की पूजा-अर्चना की। तदोपरांत सोनभद्र नदी को पार किये थे।

155 फीट ऊंचा बना रहा है माता का मंदिर

आरा। मां आरण्य देवी के भव्य मंदिर का जीर्णोद्धार हो रहा है। मंदिर का नवनिर्माण कार्य मां आरण्य देवी मंदिर विकास ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। मंदिर के मीडिया प्रबंधक कृष्ण कुमार ने बताया कि माता का नया मंदिर 155 फीट ऊंचा बनेगा। जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। छह मंजिले नये मंदिर में अन्य देवी देवताओं की मूर्ति स्थापित होगी। निर्माणाधीन मंदिर के चार फ्लोर की ढलाई हो चुकी है। पांचवे फ्लोर पर सेंटरिंग का कार्य जारी है। आने वाले समय में मंदिर अपने भव्य रुप में दिखेगा।

यह भी पढ़ें-   Patna में दो युवती के साथ गलत करने की कोशिश, आरोपी पुलिस की गिरफ्त से हुआ फरार

https://www.youtube.com/@22scopebihar/videos

भोजपुर से नेहा की रिपोर्ट

New Year New Year New Year New Year New Year New Year New Year New Year New Year New Year New Year New Year New Year

New Year

Share with family and friends: