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पटना: बिहार में आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने करीब 51 हजार बीपीएससी पास शिक्षकों के बीच नियुक्ति पत्र का वितरण किया। सीएम नीतीश के द्वारा शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण पर अब बिहार में राजनीति भी शुरू हो गई है। मामले में बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर (PK) ने नीतीश कुमार पर हमला किया। एक तरफ तेजस्वी ने नियुक्ति पत्र वितरण का कांसेप्ट देने की बात कही तो दूसरी तरफ प्रशांत किशोर (PK) ने कहा कि उनके कहने पर ही नीतीश ने दुबारा मुख्यमंत्री पद ग्रहण किया।
हमने दिया आईडिया
तेजस्वी यादव आरक्षण के मुद्दे को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ राजद कार्यालय के समक्ष धरना पर बैठे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 के चुनाव में हमने कहा था कि हमारी सरकार बनी तो हम 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी जाएगी। इसके साथ ही हमने ही नियुक्ति पत्र वितरण का भी आईडिया दिया था। तेजस्वी ने कहा कि पहले कोई नौकरी और रोजगार की बात नहीं करता था। सबसे पहले हमने नौकरी और रोजगार की बात शुरू की और युवाओं को नौकरी भी दी। हमने पहली बार गांधी मैदान में नियुक्ति पत्र वितरण करवाया।
मेरे ही कहने पर बने थे मुख्यमंत्री- PK
वहीं दूसरी तरफ मुजफ्फरपुर पहुंचे जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर (PK) ने कहा कि नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री का पद छोड़ कर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था। उस वक्त गठबंधन में लालू जी की पार्टी थी और उस वक्त तेजस्वी तेज प्रताप पार्टी में नहीं थे। उन्होंने कहा कि उस वक्त मैंने नीतीश कुमार की मदद की थी और मेरे ही कहने पर उन्होंने जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटा कर खुद मुख्यमंत्री बने थे। 2014-15 के उस नीतीश कुमार और अब के नीतीश कुमार में काफी अंतर है।
हट गया सुशासन का तमगा
PK ने सीएम नीतीश पर हमला करते हुए कहा कि उस समय के नीतीश कुमार सिर्फ विकास के बारे में सोचते थे लेकिन आज के नीतीश कुमार की सरकार को लोग लालू जी के जंगलराज से भी अधिक बुरा मानते हैं। यह वही नीतीश कुमार हैं जो एक रेल दुर्घटना के बाद रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और आज कोविड में हजारों लोगों के मरने के बावजूद घर से नहीं निकले।
नीतीश कुमार 2020 में चुनाव हार गए, 243 सीटों में से मात्र 42 विधायक उनकी पार्टी के हैं फिर भी वे किसी न किसी गठबंधन के साथ मुख्यमंत्री के पद बने रहते हैं। उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है, सुशासन का तमगा हट गया है।