नई दिल्ली: मेडिकल, इंजीनियरिंग और उच्च शिक्षा में दाखिले की तैयारी कर रहे लाखों छात्रों के लिए राहत भरी खबर है। शिक्षा मंत्रालय ने यह जांच शुरू कर दी है कि क्या नीट (NEET), जेईई (JEE) और सीयूईटी (CUET-UG) जैसी राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षाएं 12वीं के औसत छात्रों के लिए जरूरत से ज्यादा कठिन होती जा रही हैं।
इस उद्देश्य से मंत्रालय ने एक हाई पावर्ड कमेटी गठित की है, जो बीते चार वर्षों के प्रश्नपत्रों का साइकोमैट्रिक एनालिसिस करेगी। समिति का ध्यान इस बात पर केंद्रित होगा कि प्रश्नपत्र सीबीएसई और अन्य बोर्डों के औसत छात्रों के लिए कितने अनुकूल हैं।
मंत्रालय के अनुसार, यह समीक्षा प्रक्रिया जल्द ही पूरी होगी और समिति अपनी सिफारिशें मंत्रालय को सौंपेगी। इन सिफारिशों के आधार पर 2026 से प्रवेश परीक्षाओं के प्रारूप और प्रश्नों की प्रकृति में बदलाव किए जा सकते हैं।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि इन परीक्षाओं के सवाल इतने जटिल होते हैं कि बिना कोचिंग या विशेष तैयारी के औसत छात्र इन्हें हल नहीं कर पाते। साथ ही कम्प्यूटर आधारित परीक्षाओं की विभिन्न शिफ्टों में कठिनाई का स्तर भी असमान पाया गया है। कई छात्रों ने आउट ऑफ सिलेबस सवालों की शिकायत भी की है।
संभावित बदलावों में शामिल हो सकते हैं:
प्रश्नों का कठिनाई स्तर घटाना
मल्टी-बोर्ड अनुकूल सिलेबस
विभिन्न शिफ्टों में पेपर की समान कठिनाई
कोचिंग-डिपेंडेंसी कम करने की कोशिश
अगर मंत्रालय समिति की सिफारिशों को मानता है, तो 2026 से नीट, जेईई और सीयूईटी परीक्षाएं नए प्रारूप में आयोजित हो सकती हैं, जिससे छात्रों को वास्तविक ज्ञान के आधार पर आंकने का बेहतर मौका मिलेगा।