रांची: झारखंड के पारंपरिक पाहन पुजारियों ने इस वर्ष की बारिश को लेकर भविष्यवाणी की है। परंपरा के अनुसार, बीती रात जल रखाई पूजा संपन्न की गई, जिसमें पारंपरिक विधि-विधान का पालन किया गया। आज सुबह जब पूजा के दौरान रखे गए जल पात्रों का निरीक्षण किया गया, तो उनके जल स्तर में अपेक्षाकृत कमी पाई गई। इसी आधार पर पाहनों ने अनुमान लगाया कि इस वर्ष सामान्य से कम वर्षा होगी। हालांकि, बारिश होगी, लेकिन वह औसत से कम रहने की संभावना है।
पाहनों ने पूजा-अर्चना के दौरान यह प्रार्थना भी की कि संपूर्ण सृष्टि, समस्त जीव-जंतु, मानव समुदाय और प्रकृति सभी समृद्ध और सुखी रहें। उन्होंने कामना की कि सभी को पर्याप्त अन्न और जल उपलब्ध हो तथा समाज में समृद्धि बनी रहे। इसके लिए उन्होंने अपने पारंपरिक सिंघी बंगा, बरु बंगा, रिमल बंगा, बगा हड़ बी सहित अन्य परंपराओं को याद किया और ईश्वर से सभी के कल्याण की प्रार्थना की।
पारंपरिक विधि-विधान और प्रकृति से जुड़े अपने पूर्वजों की मान्यताओं को आज भी पाहन समुदाय पूरी निष्ठा से मानता है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने प्रकृति की समझ के आधार पर जो रीति-रिवाज बनाए थे, वे आज भी प्रासंगिक हैं। इन्हीं मान्यताओं और सांस्कृतिक धरोहरों को हम आने वाली पीढ़ी को भी सौंपने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इस अवसर पर सरना समाज के लोगों ने भी अपनी पारंपरिक वेशभूषा, संगीत और रीति-रिवाजों को अपनाने का संकल्प लिया। उन्होंने आग्रह किया कि सभी लोग पारंपरिक परिधानों और वाद्ययंत्रों के साथ सांस्कृतिक झांकी प्रस्तुत करें और केंद्रीय सरना स्थल, सिरम टोली तक एकता और भाईचारे के साथ पहुंचें।
हर वर्ष आयोजित होने वाली यह शोभायात्रा, जो पहले छोटी हुआ करती थी, अब एक विशाल रूप ले चुकी है। लाखों लोग इसमें भाग लेते हैं और अपनी संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन का संकल्प लेते हैं। पाहनों और समुदाय के बुजुर्गों ने सभी लोगों से अनुरोध किया कि वे अपनी सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखें और इसे आने वाली पीढ़ियों को सौंपें। साथ ही, मूलवासी और आदिवासी समुदायों के बीच सौहार्द्र बनाए रखने की अपील भी की गई।