रांची: झारखंड विधानसभा के पहले दिन शोक प्रस्ताव रखा गया. जिस दौरान विधानसभा सभापति सहित विधानसभा सदस्यों ने हेलीकॉप्टर हादसे में चौदह शहीदों सहित साहित्यकारों, पत्रकारों सहित कई मृतकों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की.
विधानसभा के बाहर जेपीएससी का मुद्दा गरमाया रहा. जहां पक्ष-विपक्ष आमने-सामने नजर आएं. जेपीएससी को लेकर कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि जेपीएससी परीक्षा परीणाम में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. जो लोग धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, वो भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हैं. उन्होंने कहा कि परीक्षा सही ढंग से हुई है. अमिताभ चौधरी का पक्ष लेते हुए राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने ही जेपीएससी को बदनाम किया है और कलंकित किया है. वर्तमान सरकार युवाओं को नौकरी देना चाहती है, वहीं भाजपा इसे राजनीतिक रूप देकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं. उन्होंने जेपीएससी अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनसे मिलने की बात कही. वहीं OMR शीट के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि मैं कोई सीबीआई ऑफिसर नहीं हूं.
कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी के बयान को लेकर भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही, नवीन जयसवाल, अमर बाउरी ने निशाना साधते हुए कहा कि इरफान अंसारी क्लिन चिट देने वाले कौन होते हैं. क्या वह जेपीएससी के सदस्य हैं या विधानसभा से बनी कमिटी के सदस्य हैं. वहीं भानु प्रताप शाही ने उनके शैक्षणिक योग्यता पर ही सवाल उठा दिया.
बहरहाल झारखंड राज्य जब से अलग हुआ है. तब से जेपीएससी का मुद्दा विवादों में ही रहा है. यही वजह है कि 21 सालों में केवल सात बार ही जेपीएससी ने परीक्षा आयोजित की है. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार किसी की भी हो, लेकिन झारखंड के युवाओं के भविष्य के साथ हमेशा से खिलवाड होता रहा है. जिसके कारण अबतक कई बार अभ्यर्थियों को न्यायालय का शरण लेना पड़ा है.
रिपोर्ट- प्रतीक