पिपरवार फर्जी नौकरी मामला: सीबीआई कोर्ट का 29 साल बाद फैसला, 22 दोषियों को सजा

पिपरवार फर्जी नौकरी मामला: सीबीआई कोर्ट का 29 साल बाद फैसला, 22 दोषियों को सजा

रांची: पिपरवार में अधिग्रहित जमीन के एवज में फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने के 29 साल पुराने मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। विशेष जज पीके शर्मा की अदालत ने इस मामले में सीसीएल (सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड) के तत्कालीन जीएम हरिद्वार सिंह और उनके बेटे समेत कुल 22 आरोपियों को दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही हरिद्वार सिंह पर 58,000 रुपये और अन्य दोषियों पर 8,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

हालांकि, अदालत ने साक्ष्य के अभाव में दो आरोपियों, मुरारी कुमार सिन्हा और दशरथ गोप, को बरी कर दिया। आरोप था कि सीसीएल के तत्कालीन सीनियर पर्सनल अफसर की मिलीभगत से 28 ऐसे लोगों को नौकरी दी गई थी, जिनकी जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ था। इनमें से 1995 में 18 और 1996 में 10 लोगों को नौकरी दी गई।

फर्जीवाड़े का यह मामला 1998 में उजागर हुआ, जब सीबीआई ने जांच शुरू करते हुए एफआईआर दर्ज की। यह आरोप लगाया गया कि अधिग्रहित जमीन के मुआवजे के तहत रोजगार पाने का हक रखने वालों को दरकिनार कर फर्जी दस्तावेजों के जरिए अन्य लोगों को नौकरी दी गई।

सजा पाने वालों में हरिद्वार सिंह, उनका बेटा प्रमोद कुमार सिंह, मनोज कुमार सिंह, कृष्ण नंद दुबे, मुरारी कुमार दुबे, मनोज पाठक, प्रमोद कुमार, दिनेश रॉय, ललित मोहन सिंह, संजय कुमार, मनदीप राम, बैजनाथ महतो, हेमाली चौधरी, बिनोद कुमार, जयपाल सिंह, बिपिन बिहारी दुबे, बंसीधर दुबे, निरंजन कुमार, अजय प्रसाद, केदार प्रसाद, परमानंद वर्मा और गुरुदयाल प्रसाद शामिल हैं।

पिपरवार क्षेत्र में सीसीएल द्वारा अधिग्रहित जमीन के बदले स्थानीय लोगों को रोजगार देने की योजना थी। लेकिन, जांच में पाया गया कि कई फर्जी लाभार्थियों को नौकरी दी गई, जिनकी जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ था। यह धोखाधड़ी सीसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों की मिलीभगत से की गई।

विशेष जज पीके शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे मामलों में दोषियों को सजा देकर एक कड़ा संदेश दिया जाना आवश्यक है, ताकि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी रोकी जा सके। यह फैसला 29 साल पुराने मामले में न्याय की प्रक्रिया को दर्शाता है और उन सभी के लिए एक चेतावनी है जो कानून का उल्लंघन करने की सोचते हैं।

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