झारखंड में सियासी रस्साकशी: राज्यपाल का आज रांची लौटना मुश्किल, शाह से नहीं हुई मुलाकात

रांची : झारखंड में सियासी रस्साकशी जारी है. इस बीच खबर मिल रही है कि दिल्ली गये राज्यपाल रमेश बैस का

आज रांची लौटना मुश्किल है. क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह से अभी तक मुलाकात नहीं हुई.

उन्होंने अमित शाह से फोन पर बात की है और मिलने का समय मांगा है.

सियासी गलियारों में चर्चाएं शुरू

जानकारी के मुताबिक गृह मंत्री अमित शाह के दिल्ली से बाहर होने के कारण समय नहीं मिल पाया है.

बता दें कि राज्यपाल रमेश बैस आज झारखंड वापस लौटने वाले थे लेकिन मिली जानकारी के अनुसार

अब शनिवार को भी वह दिल्ली में रुकेंगे.

बता दें कि झारखंड में जारी राजनीतिक उथल पुथल की बीच राज्यपाल रमेश बैस

शुक्रवार को दिल्ली रवाना हुए थे. जिससे सियासी गलियारों में तमाम तरह की चर्चाएं चलने लगी.

केंद्र को सौंप सकते हैं रिपोर्ट

दरअसल, झारखंड के राजनीतिक हालात को लेकर इन दिनों सियासी गलियारों में कई कयास लगाए जा रहे हैं.

राज्यपाल रमेश बैस शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे थे.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर बरकरार संशय पर झारखंड राज्यपाल का

ये दिल्ली दौरा बेहद अहम माना जा रहा है. माना जा रहा है कि इस पूरे प्रकरण को लेकर

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस केंद्र को रिपोर्ट सौंप सकते हैं.

झारखंड में सियासी रस्साकशी राज्यपाल को लेना है फैसला

सोरेन सरकार के भविष्य का फैसला राज्यपाल को लेना है.

अब तक राज्यपाल ने चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर कोई फैसला नहीं किया है. केंद्र से परामर्श के बाद वे जल्द निर्णय ले सकते हैं. बैस किसी फैसले से पहले दिल्ली में कानूनी जानकारों से भी मशवरा कर सकते हैं.

यह है सीएम पर आरोप

हेमंत सोरेन पर लाभ के पद पर रहते हुए झारखंड की खदान की लीज का पट्टा हासिल करने का आरोप है. यह मामला ईडी व सीबीआई जांच के अधीन होकर अदालत में भी लंबित है. सोरेन के खिलाफ भाजपा ने राज्यपाल को शिकायत की थी. भाजपा ने खदान का पट्टा प्राप्त करने के लिए सोरेन को विधायक पद से अयोग्य घोषित करने की मांग की थी. राज्यपाल रमेश बैस ने पूर्व सीएम रघुवर दास की इस शिकायत को 28 मार्च को चुनाव आयोग को भेजा था. इसके बाद चुनाव आयोग ने मामले की सुनवाई की थी. हालांकि, सीएम सोरेन का कहना है कि उन्होंने खदान के पट्टे को सरेंडर कर दिया था.

रायपुर में हैं झामुमो के विधायक

उधर, झारखंड में राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना के चलते सीएम हेमंत सोरेन ने 33 विधायकों (19 झामुमो विधायक, कांग्रेस के 13 और राजद के एक) को रायपुर भेज दिया है. गठबंधन को आशंका है कि भाजपा राजनीतिक जोड़-तोड़ के जरिए उसकी सरकार को गिरा सकती है. इसलिए उसने अपनी पालबंदी मजबूत कर ली है. गठबंधन ने सोरेन के स्थान पर नया नेता चुनकर सरकार बचाने के विकल्पों पर भी विचार किया है.

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