रांची हिंसा के लिए रघुवर दास ने PFI को जिम्मेदार बताते हेमंत सरकार को घेरा

रांची : राजधानी रांची के मेन रोड पर हुई हिंसा में प्रतिबंधित पीएफआई (PFI) के

राजनीति विंग एसडीएफआई का हाथ होने की आशंका है.

हालांकि अधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं की गई है.

विभिन्न सोशल मीडिया में किए गए पोस्ट और हिंसा में कनेक्शन दिख रहा है.

हिंसा के दौरान उपद्रवी एसडीएफआई (SDFI) का झंडा उठाए दिख रहे हैं.

वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वहीं प्रशासन इसकी जांच कर रही है.

सीआईडी कर सकती है जांच

सूत्रों की माने तो एसडीएफआई के शामिल होने को लेकर

कई और जानकारी सोशल मीडिया (Social Media) पर दिख रही है.

इन सभी बिंदुओं पर पुलिस तफ्तीश कर रही है.

रांची हिंसा के खिलाफ प्रशासन ने 25 एफआईआर दर्ज किया है.

वहीं 25 नामजद और सैकड़ों अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. भीड़ की तरफ से पथराव और फायरिंग के बाद पुलिस को विधि व्यवस्था संधारण के लिए फायरिंग करनी पड़ी. इस घटना में दो युवकों की मौत हुई है. कहा जा रहा है कि इस मामले की जांच सीआईडी को दी जा सकती है.

गृह मंत्रालय के आगाह करने के बावजूद नहीं हुई कोई तैयारी- रघुवर दास

इस मामले पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री वे बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने हेमंत सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि रांची के मेन रोड में हुई हिंसा के पीछ पीएफआई का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के आगाह करने के बावजूद हेमंत सरकार ने किसी तरह की तैयारी नहीं की. इसका नतीजा हुआ कि राजधानी में उपद्रवी उत्पात मचाने में सफल रहे. पुलिस कुछ नहीं कर पाई. मुख्यमंत्री को तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए और अपनी पार्टी से किसी वरिष्ठ और सक्ष व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए.

कार्यालय में बैठकर और आदेश देकर नहीं चलाई जाती है सरकार

रघुवर दास ने कहा कि उनके समय में भी असामाजिक तत्वों द्वारा राजधानी का माहौल खराब करने का प्रयास किया गया था, लेकिन उन्होंने खुद मोर्चा संभाला और शहर की सड़कों पर उतर कर स्थिति को नियंत्रण में किया था. सरकार केवल कार्यालय में बैठकर और आदेश देकर नहीं चलाई जाती है. कभी-कभी खुद भी मोर्चे पर जाना पड़ता है. लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री को लोगों के दुख दर्द से कोई सरोकार नहीं है. वे केवल टीवी पर बयान देते हैं.

बता दें कि रघुवर दास की पिछली सरकार में 2019 के दौरान पीएफआई को संदिग्ध गतिविधियों और सांप्रदायिक उन्मान फैलाने के आरोप के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है.

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