डिजिटल डेस्क : Ayodhya में रामलला का 6 अप्रैल को दोपहर 12 बजे होगा सूर्य तिलक। यूपी के Ayodhya में रामलला का सूर्य तिलक रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे होगा। Ayodhya स्थित श्रीराम मंदिर ट्रस्ट ने ऐसी व्यवस्था बनाई है कि हर साल सूर्य तिलक का समय बढ़ता जाएगा।
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बताया जा रहा है कि अपने देश में सूर्य तिलक मैकेनिज्म का उपयोग पहले से ही कुछ जैन मंदिरों और कोणार्क के सूर्य मंदिर में किया जा रहा है। हालांकि उनमें अलग तरह की इंजीनियरिंग का प्रयोग किया गया है।
राम मंदिर में भी मेकैनिज्म वही है, लेकिन इंजीनियरिंग अलग है। राममंदिर ट्रस्ट ने रामनवमी मेले की तैयारी शुरू कर दी है। रामनवमी मेले को ऐतिहासिक बनाने की कार्ययोजना शुरू कर दी गई है। रामनवमी पर इस बार भी रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा।
इसको लेकर इसरो के वैज्ञानिकों की टीम ने कुछ दिन पहले ही राममंदिर का निरीक्षण भी कर चुकी है। रामलला के सूर्य तिलक के साक्षी देश-दुनिया के लोग भी बन सकेंगे।
बताया जा रहा है कि दूरदर्शन पर पूरे कार्यक्रम के लाइव प्रसारण की तैयारी भी की जा रही है। इसके लिए शहर में 50 एलईडी स्क्रीन लगाई जाएगी।
20 सालों तक रामनवमी पर होगा सूर्य तिलक
Ayodhya स्थित श्रीराम मंदिर संबंधी इसी क्रम में कुछ अहम जानकारियां सामने आई हैं। इस रामनवमी से लगातार 20 सालों तक रामजन्मोत्सव पर सूर्य की किरणें रामलला का अभिषेक करेंगी।
मंदिर के शिखर से सूर्य की किरणों को गर्भगृह तक लाया जाएगा। इसके लिए खास तरह के मिरर और लेंस लगाए जा रहे हैं। रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम अयोध्या पहुंच गई है और सूर्य तिलक के लिए उपकरण लगाने का काम शुरू कर दिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार अगले 19 सालों तक सूर्य तिलक का समय हर साल बढ़ता जाएगा।
बताया जा रहा है कि वैज्ञानिकों की टीम ने इसके लिए एक प्रोग्राम विकसित कर कम्प्यूटर में फीड कर दिया है। इस बार रामजन्मोत्सव का पर्व छह अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन ठीक दोपहर 12 बजे रामलला का सूर्य तिलक होगा।
रामलला के माथे पर यह विशेष सूर्य तिलक प्रत्येक रामनवमी यानी भगवान राम के जन्मदिन पर उनके माथे पर सजेगा। वैज्ञानिकों ने इसे ”सूर्य तिलक मैकेनिज्म” नाम दिया है।
सीबीआरआई (केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान) रुड़की के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को इस तरह से डिजाइन किया है कि हर रामनवमी को दोपहर 12 बजे 75 मिमी के गोलाकार रूप में करीब तीन से चार मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी। गियर-बेस्ड सूर्य तिलक मैकेनिज्म में बिजली, बैटरी या लोहे का उपयोग नहीं किया जाएगा।

रामलला के सूर्य तिलक के पूरे विधि को यूं समझें…
Ayodhya स्थित श्रीराम मंदिर में प्रभु श्रीराम की प्रतिमा के सूर्य तिलक के लिए आईआईटी रुड़की ने एक खास ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम तैयार किया है। इसमें मंदिर के तीसरे तल पर लगे दर्पण पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी।
दर्पण से 90 डिग्री पर परावर्तित होकर ये किरणें एक पीतल के पाइप में जाएंगी। पाइप के छोर पर एक दूसरे दर्पण से सूर्य किरणें एक बार फिर से परावर्तित होंगी और पीतल की पाइप के साथ 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी।
दूसरी बार परावर्तित होने के बाद सूर्य किरणें लंबवत दिशा में नीचे की ओर चलेंगी। किरणों के इस रास्ते में एक के बाद एक तीन लेंस पड़ेंगे, जिनसे इनकी तीव्रता और बढ़ जाएगी। इसके बाद लंबवत पाइप के दूसरे छोर पर लगे दर्पण पर किरणें पड़ेंगी और दोबारा 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी।
90 डिग्री पर मुड़ी ये किरणें सीधे रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी। इस तरह से रामलला का सूर्य तिलक पूरा होगा। भारतीय खगोलीय भौतिकी संस्थान बंगलूरू के रिसर्च के मुताबिक, हर साल सूर्य तिलक का समय बढ़ता जाएगा।
19 साल तक टाइम कुछ न कुछ बढ़ेगा। उसके बाद फिर से 2025 की रामनवमी की तरह ही रिपीट होगा। यानी 2025 रामनवमी को सूर्य तिलक जितनी देर का होगा। 19 साल बाद 2044 में भी उतनी ही देर के लिए सूर्य तिलक होगा।
राम नवमी की तारीख चंद्र कैलेंडर से निर्धारित होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में भारत के प्रमुख संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने चंद्र व सौर (ग्रेगोरियन) कैलेंडरों के बीच जटिलतापूर्ण अंतर के कारण आने वाली समस्या का समाधान किया है।
यह एक दिलचस्प वैज्ञानिक प्रयोग था। इसमें दो कैलेंडरों के 19 साल के रिपीट चक्र ने समस्या को हल करने में मदद की।

सूर्य तिलक का कार्यक्रम देश और विदेश में होगा लाइव प्रसारण
बता दें कि Ayodhya स्थित श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद हुई राम नवमी पर रामलला का सूर्य तिलक किया गया था। इस बार भी यह आयोजन होना है। ट्रस्ट ने फैसला लिया है कि आने वाले 20 सालों तक लगातार रामलला का सूर्य तिलक रामनवमी पर होता रहेगा। भवन निर्माण समिति की बैठक में रामलला के सूर्य तिलक को लेकर चर्चा हुई है।
नृपेंद्र ने बताया कि रामनवमी पर भगवान सूर्य रामलला का सूर्य तिलक करेंगे। अगले 20 वर्षों तक रामलला का सूर्य तिलक रामनवमी पर हो सके, इसकी स्थायी व्यवस्था अबकी बार कर ली जाएगी। सूर्य तिलक का कार्यक्रम देश और विदेश में लाइव प्रसारित किया जाएगा।
सूर्य तिलक का प्रस्तुतीकरण भी बैठक में इंजीनियरों ने दिया है। राम मंदिर भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि पहले तल पर राम दरबार की स्थापना होनी है। मई के शुरुआती 15 दिन के अंदर शुभ मुहूर्त में राम दरबार स्थापित हो जाएगा।
राम दरबार के दर्शन के लिए पास की व्यवस्था होगी। एक घंटे में 50 लोगों को राम दरबार में दर्शन का पास जारी किया जाएगा। लगभग 800 लोग राम दरबार का प्रतिदिन दर्शन कर सकेंगे। अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में 20 गैलरी का निर्माण शुरू हो गया है।

भगवान के प्रसंग पर होने वाले प्रसारण में गैलरी की स्क्रिप्ट पर समीक्षा हुई है। रामकथा व हनुमान कथा के दर्शन श्रद्धालुओं को होंगे। इसके अलावा मंदिर निर्माण के लिए चले 500 सालों के संघर्ष का इतिहास भी श्रद्धालु जान सकेंगे। राम मंदिर में चल रहे निर्माण से जुड़े सभी काम दिसंबर 2025 तक पूरे हो जाएंगे।
राम जन्मभूमि परिसर में बन रहे ऑडिटोरियम का काम 2025 के बाद पूरा होगा। नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि राम मंदिर के चारों द्वार का काम शुरु हो गया है। रामनवमी के मौके पर चंपत राय द्वार के नाम की घोषणा कर सकते हैं।
राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महापुरुषों के नाम पर राम मंदिर के चारों द्वार का नाम होगा। अप्रैल के अंत में कैनोपी बनाई जा सकेगी। आवश्यकता पड़ने पर रामनवमी के समय कैनोपी और मैट की अस्थायी तौर पर राम मंदिर ट्रस्ट व्यवस्था करेगा ताकि श्रद्धालुओं को थोड़ी राहत मिल सके।