Desk. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कर्नाटक स्थित कारवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने आदेश में कहा है कि यह कदम जमाकर्ताओं के हित में उठाया गया है, क्योंकि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है और भविष्य में आय अर्जित करने की संभावना भी नहीं है।
RBI ने क्यों रद्द किया बैंक का लाइसेंस?
RBI के मुताबिक, कारवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक ने बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट, 1949 की धारा 11(1) और 22(3)(D) का उल्लंघन किया है। साथ ही बैंक की मौजूदा वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं है कि वह अपने ग्राहकों को पूरा भुगतान कर सके। ऐसे में अगर इसे और कारोबार की अनुमति दी जाती, तो यह जमाकर्ताओं के लिए जोखिम भरा हो सकता था।
बैंकिंग गतिविधियों पर तत्काल रोक
लाइसेंस रद्द होते ही बैंक पर सभी प्रकार की बैंकिंग गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही RBI ने कर्नाटक के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से बैंक को बंद करने और एक लिक्विडेटर नियुक्त करने का भी अनुरोध किया है।
जमाकर्ताओं को क्या मिलेगा?
बैंक बंद होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि खाताधारकों की जमा राशि का क्या होगा? RBI ने यह स्पष्ट किया है कि जमाकर्ताओं की जमा राशि DICGC के तहत सुरक्षित है। DICGC बीमा नियम के तहत किसी भी डूबने वाले बैंक में ग्राहकों की अधिकतम 5 लाख रुपये तक की जमा और उस पर मिलने वाला ब्याज सुरक्षित रहता है। इसका मतलब है कि सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट और करंट अकाउंट सभी पर यह नियम लागू होगा। ग्राहक इस सीमा तक अपनी रकम वापस पा सकेंगे।
92.9% खाताधारकों को पूरी रकम मिलेगी
सबसे राहत की बात यह है कि RBI की प्रेस रिलीज के अनुसार, कारवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक के 92.9% खाताधारक ऐसे हैं, जिनकी जमा राशि 5 लाख रुपये की सीमा में आती है। इसका अर्थ है कि बैंक के अधिकतर ग्राहक अपनी पूरी राशि निकाल सकेंगे और उन्हें कोई आर्थिक नुकसान नहीं होगा।
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