SASARAM LOKSABHA: कमल को कैसे काबू करेगा पंजा, हाथी को करिश्मा का इंतज़ार

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कैमूर: इन दिनों लोकसभा चुनाव का प्रचार प्रसार चरम पर है। किस्मत आजमाने वाले प्रत्याशी दिन-रात एक करके जनता का आशीर्वाद मांग रहे हैं। सासाराम लोकसभा क्षेत्र में जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आती जा रही है। वैसे-वैसे प्रत्याशी एक दूसरे पर जहां आरोप प्रत्यारोप और निजी हमले कर रहे हैं वहीं चुनावी स्थिति भी अब स्पष्ट होती जा रही है। नामांकन के बाद जहां सासाराम क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला बन रहा था लेकिन मतदान की तिथि निकट आते-आते करवट लेती दिखाई पड़ रही है। अब मुख्य मुकाबला कांग्रेस बनाम भाजपा होता दिखाई दे रहा है।

हालांकि मजबूती से चुनाव लड़ने वाली बसपा अब कांग्रेस से मनोज राम के आने के बाद बाहर होती दिखाई दे रही है। कांग्रेस प्रत्याशी मनोज राम पूर्व में बसपा के ही कैडर के अतिरिक्त लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके है। जहां मोदी लहर में बीजेपी की जीत के बाद भी वोटों का आंकड़ा करीब 80 हज़ार के रहा है। इसके साथ ही कांग्रेस का परंपरागत ब्राह्मण वोट भी इस बार कांग्रेस के साथ ही दिखाई दे रहा है। हालांकि सासाराम लोकसभा क्षेत्र सुरक्षित क्षेत्र है, जिस पर लगातार दो बार से भाजपा का कब्ज़ा रहा है। छेदी पासवान इस क्षेत्र का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

सांसद छेदी पासवान के द्वारा गोद लिए गांव की भी हालत बदतर है। केंद्र में सरकार होने के बाद भी सासाराम संसदीय क्षेत्र का विकास नही हो सका। सासाराम क्षेत्र के 4 दर्जन से अधिक गांव हैं जहां आज सुविधाओ का अभाव है। इन क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी वोट मांगने जाते तो ज़रूर है लेकिन जीतने के बाद दुबारा दर्शन देने की बात तो दूर कुशल क्षेम भी नही पूछते। वर्तमान सांसद के प्रति लोगो में आक्रोश देखने को मिल रहा है। लोगो का आरोप है कि छेदी पासवान जनता के उम्मीदों पर खरे नही उतर सके।

यही कारण है भाजपा आलाकमान बखूबी जानती थी और कारण कैंडिडेट बदलना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी पूर्व सांसद मुनिलाल राम के पुत्र है, जो मोदी मैजिक के सहारे ताल ठोक रहे है। मतदान 1 जून को होना है वैसे तो 10 प्रत्याशी ताल ठोक रहे है, लेकिन मुख्य मुकाबला एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन के बीच बताया जाता है। हालांकि बीएसपी प्रत्याशी मुकाबला को त्रिकोणीय करने में लगे है। लेकिन बसपा से जितने के बाद पूर्व के मंत्रियों द्वारा पार्टी छोड़ कर अन्य दलों में शामिल होना चर्चा का कारण ही नही बना हुआ है बल्कि बीएसपी प्रत्याशी के लिए बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है।

विवेक कुमार सिन्हा की रिपोर्ट

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