रांची: झारखंड में सरकारी विद्यालयों की गुणवत्ता सुधारने और शैक्षणिक वातावरण को उत्कृष्ट बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की गई है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (JEPC) ने राज्य भर में स्कूल सर्टिफिकेशन योजना की शुरुआत की है। इस योजना के पहले चरण में 5 मई से 8 मई 2025 तक कुल 750 विद्यालयों का मूल्यांकन किया जाएगा।
Highlights
इस सर्टिफिकेशन में 80 सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस, 325 प्रखंडस्तरीय आदर्श विद्यालय और 345 पीएम श्री विद्यालय शामिल किए गए हैं। योजना का मुख्य उद्देश्य स्कूलों के शैक्षणिक वातावरण का समग्र मूल्यांकन कर स्वस्थ एवं पारदर्शी प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।

दो चरणों में होगा मूल्यांकन, 1000 अंकों का फ्रेमवर्क तैयार
स्कूल सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया वर्ष में दो बार—अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित की जाएगी। मूल्यांकन 1000 अंकों के फ्रेमवर्क पर आधारित होगा, जो दो प्रमुख घटकों में विभाजित है—
600 अंक छात्रों के सीखने के परिणामों पर आधारित होंगे, जिससे उनकी शैक्षणिक प्रगति का वास्तविक मूल्यांकन किया जा सकेगा।
400 अंक विद्यालय के बुनियादी ढांचे, सुरक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता, सामुदायिक भागीदारी और विद्यालय प्रबंधन जैसे पहलुओं पर आधारित होंगे।
5 वर्षों में 7000 स्कूलों को किया जाएगा सर्टिफाई
योजना का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में 7000 स्कूलों का प्रमाणीकरण करना है। सभी चयनित स्कूलों को इस प्रक्रिया में सक्रिय सहयोग देने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों का मानना है कि इस पहल से राज्य में सुधार और नवाचार का वातावरण तैयार होगा।
गोल्ड श्रेणी के स्कूल बनेंगे आदर्श
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक शशि रंजन ने कहा, “स्कूल सर्टिफिकेशन के माध्यम से हम शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं। गोल्ड श्रेणी में आने वाले विद्यालय दूसरे स्कूलों के लिए मिसाल बनेंगे और शेष विद्यालय उनसे प्रेरणा लेंगे।”
उत्कृष्ट शैक्षणिक माहौल प्राथमिक लक्ष्य : सचिव
वहीं, स्कूली शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने कहा, “स्कूल प्रमाणीकरण का प्राथमिक उद्देश्य राज्य भर में उत्कृष्ट शैक्षणिक माहौल सुनिश्चित करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की गई है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्कूलों को न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
झारखंड की यह नई पहल न केवल स्कूलों की शिक्षा प्रणाली को पुनर्परिभाषित करेगी, बल्कि छात्रों को भी एक प्रेरणादायक और समावेशी वातावरण प्रदान करेगी।