Ranchi : झारखंड में डीजीपी पद को लेकर जारी विवाद पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी (Babulaal Marandi) ने सोमवार को राज्य सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि झारखंड पुलिस की कमान अब एक “शैडो डीजीपी” के हाथ में है, जिसकी न तो कोई संवैधानिक हैसियत है और न ही उस पर कोई वैधानिक नियंत्रण संभव है।
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Babulaal Marandi : झारखंड पुलिस व्यवस्था अब इतिहास रच रही है
मरांडी ने कहा, “अनुराग गुप्ता न तो अखिल भारतीय सेवा में हैं, न सस्पेंड हो सकते हैं और न ही उन पर विभागीय कार्रवाई लागू होती है। उन्हें वेतन भी नहीं मिल रहा, तो मुख्यमंत्री उसका वेतन कैसे रोकेंगे?” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि झारखंड पुलिस व्यवस्था अब इतिहास रच रही है, जहां एक गैर-संवैधानिक व्यक्ति अफसरों की पोस्टिंग से लेकर सिपाहियों के तबादले तक में आदेश दे रहा है।
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गृह विभाग ने अब उस व्यक्ति से स्पष्टीकरण मांगा है
उन्होंने सवाल किया कि जब 10 जून को आठ आईपीएस अधिकारियों को डीजीपी पद पर बैठे एक असंवैधानिक व्यक्ति ने अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया, तो इसमें हैरानी की क्या बात है? “बिना UPSC सूची में नाम, बिना मुख्यमंत्री की स्वीकृति, बिना किसी वैधानिक अधिकार के ये सब कर दिया गया।”
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मरांडी ने इसे ‘तुगलकी आदेशों’ की संज्ञा दी और कहा कि पूरी पुलिस व्यवस्था अब सत्ता के नेटवर्क से चल रही है, न कि संविधान से। भाजपा नेता ने दावा किया कि गृह विभाग ने अब उस व्यक्ति से स्पष्टीकरण मांगा है, जो कानूनी रूप से सेवा में है ही नहीं। “जब वह अखिल भारतीय सेवा में नहीं हैं, तो सेवा नियमों का पालन करने की बाध्यता ही क्यों होगी?”
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सीधे सत्ता के इशारे और नेटवर्क से संचालित हो रहे हैं अफसर
उन्होंने मुख्यमंत्री की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। कहा, “या तो उन्हें कुछ पता ही नहीं, या वे अयोग्य हैं, या फिर सब जानते हुए भी जानबूझकर चुप हैं, क्योंकि इसकी पूरी जिम्मेदारी उन्हीं की है। बाबूलाल ने कहा कि “राज्य में कुछ अफसर बेलगाम हो गए हैं। अब वे कानून से नहीं, सीधे सत्ता के इशारे और नेटवर्क से संचालित हो रहे हैं। यह स्थिति झारखंड के लोकतंत्र और शासन व्यवस्था के लिए गंभीर खतरे का संकेत है।”
मदन सिंह की रिपोर्ट–
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