डिजीटल डेस्क : Sukhbir Badal ने अकाली दल की अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा, श्री अकाल तख्त साहिब ने घोषित किया तनखाहिया। झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच पंजाब से एक बड़ी सियासी खबर शनिवार को सामने आई है।
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अमृतसर स्थित श्री अकाल तख्त साहिब ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष Sukhbir Singh Badal को तनखाहिया घोषित कर दिया है। उसी क्रम में श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से उस संबंधी धार्मिक सजा सुनाई जानी है और उससे पहले ही Sukhbir Singh Badal ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा पार्टी की वर्किंग कमेटी को सौंप दिया है।
डॉ दलजीत सिंह चीमा होंगे अकाली दल के नए अध्यक्ष !
शिरोमणि अकाली दल के प्रधान Sukhbir Singh Badal के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की जानकारी पार्टी के उप प्रधान डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने दी है। डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने अपने सोशल मीजिया हैंडल एक्स पर यह जानकारी दी है।
डॉ. चीमा ने बताया कि – ‘Sukhbir Singh Badal ने अपना इस्तीफा वर्किंग कमेटी को सौंप दिया है और अपने इस्तीफे में पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया है, जिन्होंने उनकी लीडरशिप में भरोसा किया और अपने कार्यकाल के दौरान पूरा समर्थन दिया’।
माना जा रहा है कि Sukhbir Singh Badal के इस्तीफे के बाद उपप्रधान डॉ दलजीत सिंह चीमा को कमान सौंपी जा सकती है। हालांकि, यह नियुक्ति की प्रक्रिया काफी लंबी है।

कार्यकारी प्रधान ने 18 को अकाली दल के वर्किंग कमेटी बुलाई आपात बैठक
बता दें कि हाल ही में अकाली दल के प्रधान के रूप में Sukhbir Singh Badal ने श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर अपनी सरकार के दौरान हुई गलतियों को स्वीकार लिया और उन गलतियों की जिम्मेवारी ले ली। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने Sukhbir Singh Badal को तनखाइयां घोषित कर दिया लेकिन धार्मिक सजा सुनाई जानी बाकी है।
बताया जा रहा है कि Sukhbir Singh Badal दो दिन पहले अपनी धार्मिक सजा सुनने की बात को लेकर श्री अकाल तख्त साहब के जत्थेदार से मिलने भी गए थे लेकिन वहां उनकी मुलाकात नहीं हो सकी क्योंकि कुर्सी से गिरने के चलते उनकी टांग में फ्रैक्चर हो गया था जिसका ऑपरेशन हुआ है।
इसी बीच आज Sukhbir Singh Badal ने अपने प्रधान पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। यह जानकारी सामने आते ही इस बीच के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ ने वर्किंग कमेटी की आपात बैठक 18 नवंबर को चंडीगढ़ के पार्टी मुख्यालय में बुला ली है।
कमेटी की बैठक में Sukhbir Singh Badal के इस्तीफे के बारे में फैसला लिया जाएगा। प्रधान पद और अन्य पदों का कार्यकाल भी 14 दिसंबर को 2024 को खत्म होना है।

2007 से 2017 के दौरान सत्ता में रहने के दौरान हुई गलतियों पर Sukhbir Singh Badal ने मांगी माफी
यहां इस पूरे मामले की पृष्ठभूमि को समझना भी जरूरी है। पंजाब में वर्ष 2007 से लेकर 2017 तक अकाली दल और भाजपा की गठबंधन सरकार के दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब के हुए अपमान, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को माफी देने संबंधी उनकी भूमिका और सुमेध सैणी को डीजीपी बनाने को लेकर पंथक वोट बैंक में काफी रोष पाया जा रहा था।
तब गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं ने इस नाराजगी को शीर्ष पर पहुंचा दिया और 2017 के विधानसभा चुनाव में हालत यह हो गई कि पार्टी 59 सीटों से कम होकर मात्र 15 सीटों पर सिमट गई। वर्ष 2022 में तो स्थिति इससे भी पतली हो गई।
उस दौरान पूर्व विधायक इकबाल सिंह झूंदा की अगुवाई में एक कमेटी बनाकर इस हार के कारणों और पार्टी को फिर से खड़ा करने संबंधी रिपोर्ट देने को भी कहा गया। झूंदा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी, जिसमें उन्होंने हार के न केवल कारणों का जिक्र किया बल्कि सभी नेताओं को अपने पद छोड़ने की भी सिफारिश की।
पार्टी प्रधान ने सभी विंग को भंग कर दिया था लेकिन वह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। कमेटी की रिपोर्ट में Sukhbir Singh Badal अप्रत्यक्ष ढंग से इस्तीफे के लिए कहा गया था। उन पर इस्तीफे का दबाव लगातार बढ़ रहा था। इस दबाव के कारण ही पार्टी दोफाड़ हो गई।
सुखदेव सिंह ढींडसा जैसे नेता, जो अकाली दल में फिर से शामिल हो गए थे, वापिस आ गए लेकिन संसदीय चुनाव के बाद उनके सहित कई सीनियर नेताओं जिनमें परमिंदर सिंह ढींडसा, प्रो प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जगीर कौर, गुरप्रताप सिंह वडाला जैसे नेता अलग हो गए।
उन्हीं गलतियों को अब श्री अकाल तख्त साहिब पर हाजिरी लगाकर Sukhbir Singh Badal ने स्वीकरोक्ति की और उसके लिए तनखाहिया घोषित कर दिए गए।