Ranchi-अंकिता मामले में झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा है कि
उसकी कोशिश इसे एक विशेष धर्म से जोड़कर कर राजनीतिक मुद्दा बनाने की है, यह एक घृणित राजनीति है.
अपराधी का कोई जाति और धर्म नहीं होता, अपराधी सिर्फ अपराधी होता और
हर अपराधी का ठिकाना जेल होना चाहिए. लेकिन भाजपा किसी भी घटना को एक खास चश्में से देखती है.
भाजपा को यूपी का अपराध दिखालाई नहीं देता –भट्टाचार्य
भाजपा भूल जाती है कि यूपी में कमोबेश हर दिन 12 से 15 घटनाएं होती है.
दुमका की तरह ही यूपी में घटना हुई है. लेकिन भाजपा को यूपी का अपराध दिखलाई नहीं देता.
दुमका की घटना के बाद पूरा प्रशासनिक महकमा सक्रिय हुआ, आरोपी की गिरफ्तारी हुई.
स्थानीय विधायक बसंत सोरेन की पहल से चिकित्सा शुरु की गयी.
चिकित्सा से लेकर के दाह संस्कार तक मौत पुलिस प्रशासन सक्रिय रहा.
लेकिन रघुवर दास को तो शर्म भी नहीं आती. अब उनमें इंसानियत ही नहीं बची है
हाथरस की घटना को अंजाम देने वाले झारखंड आ रहे–भट्टाचार्य
निशिकांत दुबे और अमित मिश्रा के दुमका दौरे पर कटाझ करते हुए सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि
कठुवा, उन्नव, हाथरस की घटना को अंजाम देने वाले लोग झारखंड घूमने आ रहे हैं.
भाजपा नेत्री सीमा पात्रा के द्वारा सुनीता खाखा के साथ की गयी बर्बरता को याद दिलवाते हुए
उन्होंने कहा कि यह वही सीमा पात्रा हैं, जो अपने बेटे को हथकड़ी लगवाकर रिन्पास भेजती है.
सुनीता को भी किया जा सकता है एयरलिफ्ट
उन्होने कहा कि हम किसी की जाति और धर्म को देखकर राजनीति नहीं करते.
सुनीता को भी रिम्स में भर्ती करवाया गया,
यह झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है.
तत्काल उसके परिजनों को एक लाख की सहायता राशि दी गयी है.
एयर लिप्ट करने की भी तैयारी थी, लेकिन उसकी एक प्रक्रिया होती है,
चिकित्सकों की इजाजत लेनी होती है और चिकित्सकों की ओर से इसकी इजाजत नहीं दी गयी.
लेकिन चतरा वाले मामले में तुरंत एयरलिफ्ट करवाया.
अब न्यायालय की जिम्मेवारी है कि इन सभी मामले में आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दे.
राजनीतिक कशमकश पर चुप्पी तोड़े राजभवन
झारखंड में जारी राजनीतिक कशमकश और राजभवन की चुप्पी निशाना साधते हुए
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यदि चुनाव आयोग की ओर से कुछ आया है
तो इसकी जानकारी राजभवन को देनी चाहिए.
यदि चुनाव आयोग की से कुछ नहीं आया है तो भी स्पष्ट करना चाहिए.
राज्य में राजनीतिक संशय की स्थिति समाप्त होनी चाहिए.
किसी भी परिस्थिति में राजभवन को गवर्नेंस को डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए.
राजभवन को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
राजभवन और सरकार के बीच नहीं बढे तल्खी. यह जिम्मेवारी राजभवन की भी है.