17वीं शताब्दी की स्केचिंग, 1880 से संभाल कर रख रहा सैयद यूसुफ परिवार

17वीं शताब्दी की स्केचिंग, 1880 से संभाल कर रख रहा सैयद यूसुफ परिवार

गया : बिहार के गया में इंग्लैंड के जीनियस विलियम होगार्थ की 300 साल पुरानी स्केचिंग मौजूद है। इस दुर्लभ स्केचिंग वाले किताब को गया के वकील सैयद मोहम्मद जावेद यूसुफ के परिवार ने सन 1880 से संभाल कर रखा है। इंग्लैंड में पब्लिश हुई विलियम होगार्थ के किताब की यह ओरिजिनल प्रतियों में से एक बताई जाती है। फिलहाल इस नायाब किताब को सैयद मोहम्मद यूसुफ सहेज कर रखे हुए है।

इंग्लैंड के जीनियस की गया में 300 साल पुरानी स्केचिंग

इंग्लैंड के जीनियस माने जाने वाले विलियम होगार्थ की 300 साल पुरानी स्केचिंग गया में मौजूद है। यह स्केचिंग 1723 ईसवीं से लेकर 1760 के आसपास की बताई जाती है। हालांकि, विलियम होगार्थ के स्केचिंग को एकत्रित कर किताब के रूप में इसका प्रकाशन इंग्लैंड में हुआ था और उसकी ओरिजिनल प्रतियों में से एक प्रति सैयद मोहम्मद यूसुफ के पास है। 1880 से इस परिवार के पास विलियम होगार्थ की स्केचिंग वाली किताब मौजूद है। फिलहाल में इसे युसूफ सहेज कर रखे हुए हैं।

दुर्लभ और नायाब है यह बुक

यह किताब दुर्लभ और नायाब है। दुर्लभ इसलिए क्योंकि इस तरह की ओरिजिनल प्रति विश्व भर में गिने चुने ही मिल सकते हैं। 300 साल पुरानी स्केचिंग की उपलब्धता दुर्लभ है। बताया जाता है, कि विलियम होगार्थ की स्केचिंग जीवंत होती थी। उनके बनाए स्केच बोल उठाते थे। उन्होंने विविध स्केचिंग कर विश्व भर में प्रसिद्धि पाई। उन्हें इंग्लैंड के जीनियस में से एक माना जाता था।

1880 से इस तरह से सहेज कर रखते हैं सैयद मोहम्मद यूसुफ

जावेद यूसुफ का परिवार 1880 से इस अनूठी नायाब किताब को पूरी तरह से सहेज कर रख रहा है। फिलहाल उसकी देखभाल मोहम्मद युसूफ कर रहे हैं। इससे पहले उनके पिता एसएस अली नजीर ने संभाल रखा था। उनके जाने के बाद मोहम्मद यूसुफ किताब को सहेज रखे हैं। आज भी यह किताब देखकर यह प्रतीत होता है, कि यह बिल्कुल नई है। इसके लिए किताब के पन्नों में वह एक समय के अंतराल पर पाउडर डालते हैं, ताकि उसके पन्नों में मजबूती बने रहे और उसमें कीड़े न लगे। मोहम्मद यूसुफ अपना कीमती समय इस तरह की पुरानी चीजों को बचाने में लगाते हैं और सहेज कर रखते हैं।

अनूठा है यूसुफ का शौक

मोहम्मद यूसुफ का शौक अनूठा है। यह पुरानी चीजों को ऐसे रखते हैं जो आज भी वह नई दिखती है। उनकी लगन कमाल दिखाती है और वह पुरानी से पुरानी चीजों को नई बना कर रखे हुए हैं। इसमें एक बिलियम होगार्थ की किताब भी है। गौरतलब हो कि मोहम्मद जावेद यूसुफ के पिता का नाम एसएस अली नजीर था, जो डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हुआ करते थे। वहीं उनके दादा सैयद शाह अली जहीर जमींदार थे। उनके नाना मोहम्मद फारूक अंग्रेजों के जमाने में गया में डीएसपी हुआ करते थे।

35 इंच लंबी, 20 इंच चौड़ी और 3 इंच मोटी है किताब

विलियम होगार्थ की स्केचिंग वाली किताब एकदम से नायाब है। आज भी यह नई दिखती है। इस किताब के बारे में मोहम्मद यूसुफ बताते हैं कि यह 35 इंच लंबी है, 20 इंच चौड़ी और तीन इंच मोटी है। इसकी देखरेख फिलहाल में कर वह कर रहे हैं। पहले पिताजी इस किताब की देखरेख करते थे। 1880 से यह किताब हमारे परिवार के पास है। इसे ठीक बनाए रखने के लिए बुक में हमेशा पाउडर डालते हैं, ताकि यह पूरी तरह से सुरक्षित रहे और पेज में ताजगी बनी रहे।

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इंग्लैंड में 2 जीनियस हुए जिसमें एक विलियम शेक्सपियर और दूसरे विलियम होगार्थ थे

इस संबंध में गया सिविल कोर्ट में अधिवक्ता सैयद मोहम्मद जावेद यूसुफ बताते हैं कि उनके परिवार ने 1880 से यह बुक संभाल कर रखी है। इस बुक में 1723 ईसवी में बनाई गई स्केचिंग मौजूद है, जो कि इंग्लैंड के जीनियस विलियम होगार्थ ने बनाई थी। यूसुफ बताते हैं कि इंग्लैंड में दो जीनियस हुए थे। एक विलियम शेक्सपियर और दूसरे विलियम होगार्थ, इनके न कोई प्रेसिडियर और न कोई सक्सेसर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि 1723 से पेंसिल से विलियम होगार्थ ने स्केचिंग शुरू किया था। उस जमाने में कल्चर, सोसायटी, लोगों की जिंदगी और शासन के साथ-साथ विविध पहलूओं पर स्केचिंग बनाते थे। देश से लेकर विदेशों की भी स्केचिंग वे बनाते थे। ये स्केचिंग इतनी खूबसूरत अंदाज में बनाते थे कि वह बोल उठती थी। उनके स्केचिंग जीवंत होती थी। 1880 से उनके परिवार ने उस किताब को संभाल कर रखा है। जिसमें 1723 में बनाई गई स्केचिंग है। विलियम होगा अर्थ क्या स्केचिंग को एकत्रित कर जब इंग्लैंड में प्रिंटिंग हुई, तो उसकी एक प्रति यानी एक किताब जो कि ओरिजिनल है। वह हमारे यहां मौजूद है और उसे फिलहाल मैं देखरेख कर रहा हूं।

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आशीष कुमार की रिपोर्ट

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