मधेपुरा : भले ही सरकार बिहार के सरकारी स्कूलों और वहां दी जाने वाली शिक्षा व्यवस्था को लेकर अपनी पीठ थपथपाती हो। लेकिन असलियत ये है कि शिक्षक अपने मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। शिक्षक तो विद्यालय जाते हैं बच्चों को पढ़ाने के लिए नहीं ब्लकि सोने के लिए जाते हैं। कुछ शिक्षक बस स्कूल में सो कर अपना समय पूरा करते है। भवन भी इस कदर जर्जर है कि कभी भी हादसा हो सकता है। शौचालय ऐसा कि मन ही घबरा जाए।
एक कहावत है कि घर के लोग राजी तो कोई क्या करेगा पाजी। बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव के रहते हुए भी मधेपुरा जिले में शिक्षा व्यवस्था बद से बदतर है। ये हालत मधेपुरा जिले के ग्वालपाड़ा प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय पड़ोकिया का है। जहां विद्यालय में कुछ शिक्षक क्लास आवर में ही कुर्सी पर सो कर अराम फरमाते हैं। बताया जाता है कि इस विद्यालय के शिक्षक बच्चों को पढ़ाते कम हैं सोते ज्यादा है। इस विद्यालय का जायजा लिया गया तो स्कूल में बच्चेतो थे लेकिन शिक्षक कुर्सी पर सो कर अराम फरमा रहे थे। विद्यालय की व्यवस्था इस तरह से बेकार है कि एक साफ और स्वच्छ शौचालय तक नहीं है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्यालय की छात्रा या महिला कर्मी को शौच के लिए कितनी परेशानी होती होगी। यहां के बच्चे आसपास के किसी परिचित के घर जाकर शौचालय का उपयोग करते होंगे।
इस संबंध में विद्यालय के प्राचार्य राज कुमार ने बताया कि विद्यालय में कुल नामांकित छात्र-छात्रा 250 है, जिसमें 135 छात्र-छात्रा उपस्थित हैं। शिक्षक की बात करें तो शिक्षक कुल पांच है जिसमें से एक शिक्षिका का अचानक तबियत बिगड़ जाने से वह घर चली गई हैं। बाकी चार शिक्षक विद्यालय में उपस्थित हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षक को आलस आने के कारण कुर्सी पर सो गए थे। इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी बिभा कुमारी ने बताया कि अभी हमको जानकारी नहीं मिली है। ऐसा है तो शिक्षक पर कार्रवाई की जाएगी।
रमण कुमार की रिपोर्ट