अयोध्या / लखनऊ : राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के निधन से सनातनियों में शोक की लहर। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का आज लखनऊ के एसजीपीजीआई में निधन हो गया। अस्पताल ने इसकी पुष्टि की है। इस सूचना के बाद के सनातनियों में शोक की लहर है।
आचार्य सत्येंद्र दास राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी थे। वे बचपन से ही अयोध्या में रहे। आचार्य सत्येंद्र दास लगभग 33 साल से रामलला मंदिर से जुड़े हुए थे। वे वर्ष 1992 में बाबरी विध्वंस से पहले से ही इसी मंदिर में पूजा अर्चना करते आए थे। वे राम मंदिर के मुख्य पुजारी थे।
CM Yogi बोले – यह आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के निधन की सूचना से CM Yogi आदित्याथ शोक-विह्वल हो गए। CM Yogi ने श्रीराम मंदिर अयोध्या के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास के निधन पर दुख जताया है।
CM Yogi ने कहा कि – ‘…परम रामभक्त, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र कुमार दास महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं सामाजिक व आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
…प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दे तथा शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!’
बीते 4 फरवरी को CM Yogi आदित्यनाथ ने भी SGPGI पहुंचकर आचार्य सत्येंद्र दास का कुशलक्षेम जाना था।
![आचार्य सत्येंद्र दास की फाइल फोटो](https://i0.wp.com/22scope.com/wp-content/uploads/2025/02/%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8-2.jpg?resize=696%2C537&ssl=1)
राम मंदिर ट्रस्ट ने आचार्य सत्येंद्र दास के निधन की पुष्टि
87 साल के सत्येंद्र दास बीते 34 साल से रामलला की सेवा कर रहे थे। वह अस्थायी टेंट से लेकर भव्य मंदिर में विराजमान होने तक रामलला के सेवक के तौर पर कार्य करते रहे।
कुछ दिनों पहले ब्रेन स्ट्रोक के कारण तबीयत बिगड़ने के बाद लखनऊ के SGPGI के न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती कराया गया था। वह हाई ब्लड प्रेशर और डायबीटिज से भी ग्रस्त थे। बुधवार को माघ पूर्णिमा के पवित्र दिन सुबह 7 से 8 बजे के बीच श्री रामजन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास महाराज ने SGPGI में अंतिम सांस ली। राम मंदिर ट्रस्ट ने आचार्य सत्येंद्र दास के निधन की पुष्टि की है।
SGPGI की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी श्री सत्येंद्र दास जी ने आज अंतिम सांस ली। उन्हें 3 फरवरी को स्ट्रोक के कारण गंभीर हालत में न्यूरोलॉजी वार्ड के एचडीयू में भर्ती कराया गया था।
बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को बीते 2 फरवरी को पक्षघात (स्ट्रोक) के चलते पहले अयोध्या के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से उन्हें चिकित्सकों ने SGPGI के लिए रेफर किया गया था। SGPGI अस्पताल प्रशासन के अनुसार आचार्य सत्येंद्र दास मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियों से भी ग्रस्त थे।
![आचार्य सत्येंद्र दास की फाइल फोटो](https://i0.wp.com/22scope.com/wp-content/uploads/2025/02/%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8-1.jpg?resize=696%2C550&ssl=1)
आचार्य सत्येंद्र दास के निधन से रामनगरी समेत सनातनियों में शोक की लहर
राम मंदिर ट्रस्ट ने सत्येंद्र दास के निधन पर शोक जताया है। रामनगरी के मठ मंदिरों में भी शोक की लहर है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय और मंदिर व्यवस्था से जुड़े अन्य लोगों ने मुख्य अर्चक के देहावसान पर गहरी संवेदना व्यक्त की है।
राम मंदिर भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी और अयोध्या राज परिवार के अगुवा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, डॉ. अनिल मिश्र और गोपाल जी ने निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी है।
राम मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक, राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्रदास 1992 में बाबरी विध्वंस से करीब 9 माह पहले से पुजारी के तौर पर रामलला की पूजा करते आए थे। आचार्य सत्येंद्र दास 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री भी हासिल की थी। उसके बाद 1976 में उन्हें अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी मिल गई।
विवादित ढांचा के विध्वंस के बाद 5 मार्च, 1992 को तत्कालीन रिसीवर ने मेरी पुजारी के तौर पर नियुक्ति की। शुरूआती दौर में उन्हें केवल 100 रुपये मासिक पारिश्रमिक मिलता था, लेकिन पिछले कुछ साल पहले से बढ़ोत्तरी होनी शुरू हुई थी। 2023 तक केवल 12 हजार मासिक मानदेय मिल रहा था, लेकिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनका वेतन बढ़कर 38500 रुपये हो गया था।