रांची: रांची में दीपाटोली की एक बच्ची में गुलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के पहले मामले की पुष्टि हुई है, जो झारखंड में इस तरह का पहला केस है। इस बच्ची की हालात गंभीर बताई जा रही है और वह बरियातू के बालपन अस्पताल में भर्ती है, जहां उसे 12 दिनों से वेंटिलेटर पर रखा गया है।
इस बच्ची को हाल ही में अपने माता-पिता के साथ महाराष्ट्र जाने के बाद अचानक तबीयत खराब होने की शिकायत हुई थी। लौटने के बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई और वह पैरों से काम नहीं कर पा रही थी। चिकित्सकों की प्रारंभिक जांच के बाद बच्ची को अस्पताल में भर्ती करने का निर्णय लिया गया।
जिला सर्विलांस इकाई ने बच्ची की तबीयत की जानकारी मिलने के बाद अस्पताल जाकर चिकित्सकों से बात की और जांच में गुलियन-बैरे सिंड्रोम की पुष्टि हुई। जीबीएस एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करती है, जिससे नर्वस सिस्टम डैमेज हो सकता है और मांसपेशियों में कमजोरी आ सकती है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि महाराष्ट्र और राजस्थान में इस बीमारी के कई केस पाए गए हैं, लेकिन यह कोई नई बीमारी नहीं है और न ही यह संक्रामक है। स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों ने बताया कि इस बीमारी को लेकर अधिक पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है।
बच्ची के परिजनों ने बताया कि अब तक के इलाज में काफी पैसे खर्च हो चुके हैं और अब अस्पताल का शुल्क भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने राज्य सरकार से आर्थिक सहयोग की मांग की है ताकि बच्ची का इलाज सुचारू रूप से हो सके। राज्य सर्विलांस इकाई ने बताया कि गुलियन-बैरे सिंड्रोम को लेकर अभी तक केंद्र की कोई गाइडलाइन राज्य सरकार को नहीं मिली है। केंद्र से गाइडलाइन मिलने पर उसका अनुपालन कराया जाएगा।
प्रमुख बिंदु:
- रांची की बच्ची जीबीएस से ग्रसित, वेंटिलेटर पर भर्ती
- महाराष्ट्र से लौटने के बाद हालत बिगड़ी
- जीबीएस एक ऑटोइम्यून डिजीज है, संक्रामक नहीं
- परिजनों ने राज्य सरकार से आर्थिक सहयोग की मांग की