गुमला: जिले में नया पुस्तकालय खोला गया है. जिला प्रशासन की पहल से पुस्तकालय खोला गया है. इन दिनों गुमला की बदलती तस्वीर को देखने को मिल रही है. कल तक जो युवक-युवती सड़कों पर घूमते हुए नजर आते थे. आज वह पूरी तरह से शांतिपूर्ण माहौल में पुस्तकालय में पढ़ते हुए नजर आ रहे हैं. युवक-युवतियों ने भी प्रशासन की इस पहल की ना केवल सराहना की है, बल्कि यह कहा है कि उन्हें अब एक सही रास्ता चुनने के लिए प्रशासन में वह माहौल उपलब्ध करा दिया है. जिसमें उनकी सफलता निश्चित मानी जा रही है. गुमला की पहचान पूरी तरह से नकारात्मक हुआ करती थी. यहां के युवक युवतियों में अपराधी प्रवृत्ति की भावना अधिकांश रूप से देखने को मिलती थी. यही कारण था कि लंबे समय तक इस इलाके में नक्सलियों का प्रभुत्व बना रहा क्योंकि नक्सलियों को आसानी से युवक युवतियों का वह जत्था मिल जाता था. जिन्हें वह नक्सली में शामिल करके और पूरी तरह के समाज को प्रभावित करते थे. लेकिन कुछ समय पहले गुमला जिला प्रशासन की ओर से एक पहल शुरू की गई और यहां के माहौल को बदलने के लिए गुमला जिला मुख्यालय में दो पुस्तकालय की स्थापना की गई. साथ ही कई प्रखंड मुख्यालय में भी पुस्तकालय की स्थापना की गई. इन पुस्तकालय के माध्यम से अब गुमला की तस्वीर पूरी तरह से बदलती हुई नजर आ रही है. गुमला जिला के विभिन्न इलाकों में पुस्तकालय खोला गया. पुस्तकालय की वजह से आज युवक युवतियों को एक बेहतर माहौल मिल रहा है.
Highlights
छात्रों के लिए वरदान साबित हो रहा पुस्तकालय
पुस्ताकालय में आने वाले बच्चों ने कहा है कि प्रशासन के द्वारा दी गई इस सुविधा और संसाधन के वजह से उन्हें उनका बेहतर कैरियर नजर आ रहा है. बच्चों ने कहा कि पहले वह अपनी पढ़ाई लिखाई करने के बाद घर में बैठ जाते थे. इसके अलावा इधर-उधर घूमा करते थे. उनके पास कोई करियर बनाने का कोई रास्ता नजर नहीं आता था. ना ही घर का कोई ऐसा माहौल होता था जहां वह कुछ बेहतर सोच सके. लेकिन जिला प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराया गया यह पुस्तकालय निश्चित रूप से आज हमारे लिए एक बेहतर रास्ता प्रस्तुत कर रहा है. जिस पर चलकर वह अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं.
वहीं जिला मुख्यालय में खोला गया पुस्तकालय सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है. क्योंकि कल तक जो बेटियां अपने घरों में बैठकर अपने शादी ब्याह के दिन का इंतजार किया करती थी. अब वहीं बेटियां न केवल उन चीजों से अलग होकर एक बेहतर माहौल में अपनी पढ़ाई करके अपने करियर को बनाने में लगी हुई है, बल्कि उनकी सोच में भी बहुत बदलाव आया है. उनके माता-पिता भी जिला में प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए इस पुस्तकालय के माध्यम से अपनी बेटियों के करियर को बेहतर बनाने के लिए उन्हें भरपूर मदद करते हुए नजर आ रहे हैं. नियमित रूप से पुस्तकालय में भेज कर उन्हें पढ़ने का वह अवसर प्रदान कर रहे हैं. जो शायद उन्हें पहले नहीं मिल पा रहा था.
वहीं बच्चियों ने कहा कि उनके लिए यह पुस्तकालय एक वरदान साबित हो रहा है, क्योंकि वह पढ़ाई लिखाई करने के बाद ना तो रांची जा सकती थी ना ही अन्य जगहों पर पढ़ाई करने की सुविधा उन्हें मिल पा रही थी, ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से जब यह पुस्तकालय की स्थापना की गई और जिस तरह से यहां पर पुस्तकों की व्यवस्था की गई है. वह निश्चित रूप से उनके लिए वरदान साबित हो रहा है. कल तक उनके जीवन का लक्ष्य सामान्य पढ़ाई करने के बाद शादी विवाह करके अपने जीवन के बाकी दोनों को पारिवारिक जीवन के रूप में व्यतीत करने का सोच बन पाता था. लेकिन आज वह अपने पैरों पर खड़ा होकर और अपने लिए एक बेहतर कैरियर चुनकर अपने जीवन को सुनहरा बनाने की दिशा में लगातार मेहनत कर रही हैं.
युवक युवतियों को बेहतर माहौल देने का उद्देश्य
जिला के उपायुक्त की सोच के बाद ही इस तरह का सपना पूरा हो पाया है, लेकिन इस सपने को देखने का काम जिला के प्रशासनिक पदाधिकारी सुधीर कुमार गुप्ता ने किया है. जिले में अपर समाहर्ता के पद पर स्थापित हैं. उन्होंने जब जिले में अपना योगदान दिया था. तो उन्हें इस जिले की स्थिति को देखकर काफी चिंता होने लगी थी, उन्होंने स्पष्ट कहा कि उन्हें ऐसा लग रहा था कि इस जिले में रहने वाले युवक युवतियों को अब तक वह बेहतर माहौल नहीं मिल पाया है. जिसमें वह अपने करियर बनाने को लेकर सोच भी सके. जिसके बाद उन्होंने इस इलाके में पुस्तकालय की स्थापना का एक संकल्प लिया और यह प्रस्ताव जिले के उपायुक्त के समक्ष प्रस्तुत किया. जिला उपायुक्त के द्वारा अध्ययन करने के बाद ही यह निर्णय लिया कि निश्चित रूप से इस इलाके में बदलाव के लिए पुस्तकालय काफी कारगर साबित हो सकता है. जिसके बाद करोड़ों रुपया लगाकर जिले में पुस्तकालय की स्थापना की गई. आज पुस्तकालय खोलने का परिणाम देखकर साफ है कि जिले में युवक युवतियों को अपने करियर बनाने के लिए जो बेहतर संसाधन उपलब्ध कराया गया है. लोगो ने जिला के अपर समाहर्ता की इस सोच की जम कर प्रशंसा की है.
रिपोर्टः अमित राज