जनप्रतिनिधियों ने नहीं समझा दर्द तो ग्रामीणों ने दशरथ मांझी की राह चलकर खुद किया सड़क निर्माण

Hazaribag- ग्राम गदोखकर निवासी एक शिक्षक बंसत कुमार ने ग्रामीणों को श्रमदान के लिए प्रेरित कर गांव को पक्की सड़क से जोड़ने का काम कर एक मिशाल कायम कर दी है.

बता दें कि मुख्य सड़क से गांव की दूरी करीबन 250 मीटर की है. लेकिन यह 250 मीटर ग्रामीणों पर भारी पड़ रहा था. इस सड़क के निर्माण के लिए ग्रामीणों ने अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगाई , लेकिन कहीं उनकी गुहार नहीं सुनी गई. आखिरकार ग्रामीणों ने वोट वहिस्कार करने की ठानी. लेकिन यह बात पेशे से शिक्षक बंसत को नागवार गुजरी और उसने ग्रामीणों को श्रम दान से की महत्ता बताया. पहाड़ काट रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी का उदाहरण दिया और ग्रामीणों को भी दशरथ मांझी की राह पर चल कर  खुद ही सड़क निर्माण में जुटने का आग्रह किया.

ग्रामीणों को भी बंसत की बात में दम नजर आया और पूरा गांव श्रम दान के लिए निकल पड़ा. आज 15 दिन से ग्रामीण अपने-अपने हाथों में फावड़ा और अन्य जरुरी समान लेकर श्रमदान में जुटे हुए हैं.

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