नंढा महादेव का मंदिर जहां शिबू सोरेन ने डुगडुगी बजाकर करवाया था दलितों का प्रवेश

Dhanbad- अति नक्सल प्रभावित टुंडी प्रखंड के ठेठाटांड में भगवान शिव की प्राचीन मंदिर जिसे नंढा महादेव के नाम से भी जाना है.

राज तंत्र के समय से हीं नंढ़ा महादेव के दरबार में दलितों एवं आदिवासियों का प्रवेश वर्जित था. तब झारखंड आन्दोलन के सर्वमान्य नेता और दिशोम गुरु शिबू सोरोन ने डुगडुगी बजा कर इस मंदिर में भारी विरोध के बावजूद दलित –आदिवासियों का प्रवेश करवाया था.

तब सामूहिक खेती व रात्रि पाठशाला के साथ शिबू सोरेन राजनीति के साथ-साथ सामाजिक परिवर्तन की भी लड़ाई लड़ रहे थे. आदिवासी समाज के बीच उनकी पहचान  दिशोम गुरू के रुप में हो चुकी थी.

जब उन्हे इस बात की जानकारी मिली कि मंदिर में दलित-आदिवासियों का प्रवेश वर्जित है तब शिबू सोरेन  भड़क गए और ऐलान कर दिया कि खिचड़ी मेला के दिन 15 जनवरी को इस मंदिर में हजारों दलितों और आदिवासियों के साथ प्रवेश करेंगे.

इधर शिबू सोरेन टुंडी थाना में बैठे रहे और उधर संकैड़ों की संख्या में दलित-आदिवासी डुगडुगी बजाकर मंदिर में  पहुंच गए.

एक ओर तरफ आदिवासियों का जुटान था तो दूसरी ओर पंडा समाज प्रवेश नहीं करने देने पर अड़ा था.  लेकिन आदिवासी और दलितों के आक्रमक रुख को देखते हुए पंडा समाज को अपना कदम वापस लेना पड़ा और इस एतिहासिक मंदिर में दलितों का प्रवेश हो गया.

दरअसल यह वह दौर था जब शिबू सोरोन पूरे झारखंड में घुम-घुम कर दलित-आदिवासी और मूलवासियों को एकजुट कर रहे थें, उन्हे अलग झारखंड आन्दोलन के संघर्ष से जोड़ रहे थे. उनके हक-हकुक और सामाजिक- आर्थिक विपन्नताओं के विरुद्द संघर्ष कर रहे थे. यह मंदिर आन्दोलन भी तब दलित-आदिवासियों के अधिकारों से जुड़ा एक मामला था. और तब इस  मंदिर में दलित-आदिवासियों को प्रवेश दिलवाकर दिशोम गुरु ने एक सामाजिक संदेश दिया था.

यहां यह भी बता दें कि यह वही दौर था जब दिशोम गुरु ने दलित-आदिवासियों के शोषक समूहों के विरुद्ध विगुल  फुंक रखा था, महाजनी प्रथा के विरुद्ध लड़ाई लड़ी जा रही थी.

धनबाद और गिरिडीह की सीमा पर बराकर नदी के तट पर स्थित नंढा महादेव की इस ऐतिहासिक मंदिर में हर एक वर्ष 15 जनवरी को खिचड़ी मेला लगता है. धनबाद एवं गिरिडीह के हजारों लोग यहां जुटते हैं. बराकर नदी में स्नान कर सभी लोग वहां नंढा महादेव मंदिर में पूजा अर्जना करते हैं.

इस बार भी मेले में जबरदस्त भीड़ जुटी. लेकिन जैसे ही स्थानीय प्रशासन को इसकी भनक लगी, अंचलाधिकारी और थाना प्रभारी ने भीड़ा का जायजा लेकर सभी से हटने की अपील की. कोरोना दिशा निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया. लोगों ने प्रशासन की बात तो ध्यान से सुना और शांतिपूर्ण तरीके से घर चले गए.

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