थियेटर फेस्टिवल “नौटंकीबाज 2023” का सफल आयोजन, 4 नाटकों का हुआ मंचन, “साजिश का धुआं” विजेता

रांचीः नौटंकीबाज 2023 – रविवार की शाम कडरू स्थित झारखंड फिल्म थिएटर एकेडमी के स्टूडियो थिएटर के मंच पर थियेटर फेस्टिवल “नौटंकीबाज 2023” का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में झारखंड फिल्म एंड थियेटर एकेडमी (जेएफटीए) के एक्टिंग स्टूडेंट्स ने मिलकर 4 नाटकों का मंचन किया. जिसमें “थे द लिटिल हीरोज”, “रिसर्च गैंग” “खामोशी कब तक” और “साजिश का धुआं” शामिल था.

नौटंकीबाज 2023

नाटक “साजिश का धुआं” विजेता

चारों ही नाटकों का मंचन इससे पहले “सांसद सांस्कृतिक महोत्सव” के दौरान हो चुका है. जिन्हें महोत्सव के दौरान काफी सराहा भी गया था. “नौटंकीबाज 2023” के दौरान मुख्य अतिथि और जज के तौर पर फिल्म जगत से विक्रांत परमार, आनंद जालान, दिलीप देव और मधुमिता रॉय मौजूद थे. सभी नाटकों के मंचन के बाद जजेस चॉइस की प्रक्रिया के तहत नाटक “साजिश का धुआं” को विजेता घोषित किया गया.

नौटंकीबाज थिएटर फेस्टिवल का दूसरी बार हुआ सफल मंचन

“नौटंकीबाज थिएटर फेस्टिवल” का आगाज 26 मार्च 2022 को हुआ था. जिसके बाद यह दूसरा मौका है जब इस फेस्टिवल को सफलतापूर्वक संपन्न किया गया. “झारखंड फिल्म थिएटर एकेडमी” के निदेशक राजीव सिन्हा के मुताबिक “नौटंकीबाज” नाम से थियेटर फेस्टिवल करने के पीछे एक ही उद्देश्य है, कि इस शब्द को नकारात्मक बनाने के बजाय सकारात्मक तौर पर कलाकारों का संबोधन किया जाए.

नौटंकीबाज 2023

मंचन किए कए नाटक

रिसर्चर गैंग: कहानी में दिखाया गया है कि किस तरह से एक युवक जहां-तहां सड़क पर खड़े होकर मूत्र विसर्जन करता है, जबकि कांके पागलखाना से भागे हुए चार पागल जो खुद को रिसर्च गैंग के सदस्य बताते हैं, उस युवक को सबक सिखाने में कामयाब हो जाते हैं। बाद में युवक को अपनी गलती का एहसास होता है और वह अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ बनाने की कसम खाता है

खामोशी कब तक: नाटक में सुहानी नाम की लड़की 4 गुंडों से गिर जाती है, काफी देर तक उनसे जद्दोजहद करने के बाद उसकी हिम्मत टूटने लगती है और जब टूट कर वह गिर नीचे बैठ जाती है, तब चारों ही गुंडे अपने असली रूप में आते हैं और वहां खड़ी जनता को आगे आकर उस लड़की को बचाने की के लिए उकसाते हैं, दरअसल चारों के गुंडे भुक्तभोगी हैं जिनके परिवार में किसी ना किसी के महिला के साथ दुराचार की घटना घटी है।

साजिश का धुआं: चार ग्रामीण एक लाश को लेकर श्मशान घाट में जलाने जाते हैं तभी रास्ते में उनकी टक्कर एक शिक्षक से हो जाती है जिसकी वजह से लाश जमीन पर गिर जाता है ऐसे में लाश जब खुद को खोलने की गुहार लगाता है तब पता चलता है कि यह चारों ही जिंदा व्यक्ति को जलाने जा रहे हैं पूछे जाने पर वह बताते हैं कि किस तरह से इस व्यक्ति ने उनके गांव मोहल्ले और अपने ही घर के बच्चों को नशे में डुबो दिया है तो भला ऐसे आदमी को जिंदा रहने का क्या अधिकार, बाद में शिक्षक के समझाने पर चारों ही यह बात समझ जाते हैं कि ये व्यक्ति बस एक मोहरा है जबकि असली गुनहगार तो कोई और है।

 

 

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