रांची से संजय सेठ को कांग्रेस के ये नेता देंगे टक्कर, अब किसके सिर सजेगा ताज ?

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आज हम बात करेंगे झारखंड की राजधानी रांची की.

रांची लोकसभा में 2024 का मुकाबला मुख्य रुप से भाजपा और कांग्रेस के बीच हो सकता है.
भाजपा ने रांची से मौजूदा सांसद संजय सेठ को टिकट दिया है. लेकिन इंडी गठबंधन ने अब तक प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है. हालांकि यह सीट गठबंधन की तरफ से कांग्रेस की झोली में जाएगी.

लेकिन कांग्रेस इस सीट से किसे मैदान में उतारेगी इसका फैसला अब तक नहीं हो पाया है लेकिन रांची लोकसभा से कांग्रेस की ओर से दो बड़े नेताओं की दावेदारी सामने आ रही है. जिसमें पूर्व कांग्रेस सांसद सुबोध कांत सहाय और भाजपा के पूर्व सांसद रहे रामटहल चौधरी का नाम टिकट की रेस में सबसे आगे है.

सुबोधकांत सहाय कांग्रेस की तरफ से दो बार सांसद रह चुके हैं. लेकिन रांची में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की टिकट से 5 बार सांसद रहे रामटहल चौधरी को कांग्रेस अपने पाले में कर पाएगी या नहीं.

रामटहल चौधरी के भाजपा से 5 बार सांसद रहने के बावजूद भाजपा ने 2019 में उनका टिकट काट दिया था. जिसके बाद उन्होंने 2019 में निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. और अब 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर कयासों के बाजार गर्म है कि रामटहल चौधरी कांग्रेस के साथ जा सकते हैं.

अगर रामटहल चौधरी कांग्रेस की तरफ आते हैं और कांग्रेस उन्हें रांची से टिकट देती है तो रांची में 2024 का लोकसभा चुनाव देखना काफी ज्यादा दिसचस्प हो सकता है. ऐसे में रांची में भाजपा वर्सेज पूर्व भाजपा की वॉर हो जाएगी.

हालांकि सुबोधकांत और रामटहल के अलावा कुछ और नेताओं के नाम भी रांची से सामने आ रहे हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो रांची में कांग्रेस जातीय समीकरण पर भी खेल सकती है ऐसे में कुरमी-महतो की वोट को अपने पाले में करने के लिए कांग्रेस पूर्व मंत्री केशव महतो कमलेश या डॉ अजय चौधरी पर भी दांव लगा सकती है.

अब रांची में कांग्रेस किसे मौका देगी ये टिकट के ऐलान के बाद ही पता चल पाएगा.
रांची लोकसभा सीट की वर्तमान राजनीतिक स्थिति की बात करें तो रांची सामान्य सीट है. यह सीट किसी भी वर्ग के लिए आरक्षित नहीं है.

रांची लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं जिसमें ईचागढ़, सिल्ली, रांची, खिजरी, हटिया और कांके है. और इन 6 सीटों में से 3 पर बीजेपी ने कब्जा किया है ,1 आजसू के पास है और शेष 2 सीटें महागठबंधन की झोली में गई है.

ईचागढ़ में झामुमो से सबिता महतो विधायक है. खिजरी से कांग्रेस के राजेश कच्छप , सिल्ली से आजसू के अध्यक्ष सुदेश महतो, रांची से बीजेपी के सीपी सिंह ,हटिया में नवीन जयसवाल और कांके में समरी लाल विधायक हैं.

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अब रांची लोकसभा सीट के इतिहास पर एक नजर डालते हैं

एकीकृत बिहार में रांची की दो लोकसभा सीटें थी. रांची नॉर्थ ईस्ट और रांची वेस्ट. 1962 के लोकसभा चुनाव से रांची नॉर्थ ईस्ट की सीट रांची लोकसभा बनी और रांची वेस्ट खूंटी लोकसभा सीट बन गई.

1952 में रांची में कांग्रेस ने जीत से शुरुआत की. पहले चुनाव में कांग्रेस के अब्दुल इब्राहिम ने जीत हासिल की और पहले सांसद बने.

1957 के लोकसभा चुनाव में स्वतंत्र उम्मीदवार मीनू मसानी ने रांची ईस्ट से जीत हासिल की थी.

जिसके बाद अगले तीन चुनावों में रांची में कांग्रेस ने जीत की हैट्रिक लगाई और साल 1962,1967 और 1971 में प्रशांत कुमार घोष ने जीत हासिल की.

1977 में जनता पार्टी ने जीत हासिल की और रवींद्र वर्मा सांसद बने.

1980 में कांग्रेस ने फिर से वापसी की और शिब प्रसाद साहू ने रांची संसदीय सीट पर कब्जा किया.

कांग्रेस की जीत अगली चुनाव यानी 1984 में भी बरकरार रही और शिव प्रसाद साहू दूसरी बार यहां से सांसद बने.
1989 के लोकसभा चुनाव में सुबोधकांत सहाय यहां से सांसद बने , सुबोधकांत सहाय ने जनता दल के टिकट से अपने जीत का आगाज किया.

1991 में रांची में भाजपा ने अपना परचम लहराया और भाजपा ने लगातार 4 बार जीत दर्ज की. भाजपा से राम टहल चौधरी ने 1991,1996,1998,1999 में लगातार चार लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की और 4 बार सांसद बने.

2004 में कांग्रेस ने भाजपा को मात दी और सुबोधकांत सहाय यहां से सांसद बने. और 2009 में सुबोधकांत सहाय ने दूसरी बार भी यहां से जीत दर्ज की.

2014 के लोकसभा चुनाव में रामटहल चौधरी ने रांची में एक बार फिर वापसी की और भाजपा ने यहां से जीत हासिल की.

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2019 में भाजपा ने पांच बार सांसद रहे रामटहल चौधरी का टिकट काट कर संजय सेठ पर भरोसा जताया और संजय सेठ ने भाजपा की जीत बरकरार रखी.

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी भाजपा ने एक बार और संजय सेठ को मैदान में उतारा है. अब संजय सेठ का मुकाबला कांग्रेस के किस नेता के साथ होगा ये तो टिकट के ऐलान के बाद ही पता चल पाएगा.

 

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