प्रयागराज : महाकुंभ में श्रद्धालुओं के सैलाब के बीच RSS के सरकार्यवाह का अहम संदेश – सनातन की मजबूती को जनजातीय एकता जरूरी। महाकुंभ में श्रद्धालुओं के अभूतपूर्व सैलाब से महाजाम के बीच RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले भी दो दिवसीय दौरे पर महाकुंभ मेला क्षेत्र में प्रवास के लिए पहुंचे और अहम संदेश दिया।
RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले सोमवार को अपने प्रवास के समापन से पहले सफाईकर्मियों से मिले एवं महाकुंभ परिसर में आयोजित कुछ अहम कार्यक्रमों में भी शामिल हुए। इन्हीं में से एक था – अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित जनजाति समागम।
इसमें प्रतिभाग करते हुए RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने अपने संबोधन में अहम संदेश दिया। दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि – ‘…सनातन संस्कृति को मजबूती मिल सके, इसके लिए जनजातीय समाज की एकता और अस्तित्व बनाए रखने के लिए सभी को संगठित होकर प्रयास करने होंगे। जनजातीय समाज की एकता सनातन संस्कृति की मजबूती के लिए जरूरी है।’
बोले दत्तात्रेय – केवल आस्था-पूजा नहीं है सनातन परंपरा…
RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने अपने संबोधन में वनवासी समाज के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि – ‘भारत की सनातन परंपरा केवल आस्था और पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवन पद्धति है। इसमें प्रकृति संरक्षण, सामाजिक समरसता और सेवा कार्य का विशेष महत्व है।
…वनवासी समाज ने सदियों से इस परंपरा को सहेजकर रखा है। इस दिशा में और ज्यादा काम करने की जरूरत है। हिंदू संस्कृति और सनातन परंपरा को बचाने में जनजातीय संतों और समाज की अहम भूमिका रही है। मौजूदा समय में धर्मांतरण और विदेशी विचारधारा जैसे संकट हिंदू समाज के सामने खड़े हैं।
…उनका मुकाबला करने के लिए संतों और समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर कोशिश करने की जरूरत है। संतों से अपील है कि वो वनवासी समाज में शिक्षा, संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाएं।
…जनजातीय समाज के युवा अगर अपनी परंपराओं और संस्कृति से जुड़ेंगे तो वे धर्मांतरण जैसी चुनौतियों से बच सकेंगे और समाज की एकता को मजबूत कर सकेंगे।’

बोले होसबोले – महाकुंभ कोई भीड़ नहीं…यह श्रद्धालुओं का अद्वितीय संगम
दो दिवसीय महाकुंभ प्रवास पर कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हुए RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने आगे कहा कि – ‘…महाकुंभ कोई मनुष्यों की भीड़ नहीं, …यह श्रद्धालुओं का अद्वितीय संगम है। सनातन संस्कृति का यह मात्र मेला नहीं संकल्प का महापर्व है।
…इस महाकुंभ के अपने आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व हैं। यह आयोजन सनातन संस्कृति का प्रतीक है। महाकुंभ केवल एक मेला नहीं, बल्कि यह संकल्प का महापर्व है। यहां लाखों श्रद्धालु अपने जीवन को धर्म, साधना और आत्मचिंतन के माध्यम से एक नई दिशा देते हैं।
…धर्म और संस्कृति की रक्षा केवल संत समाज या शासन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह समाज की सज्जन शक्ति, संत शक्ति और शासन शक्ति के समन्वित प्रयास से ही संभव हो सकता है।’

RSS के सरकार्यवाह बोले – नई पीढ़ी को सनातन धर्म से जोड़ना जरूरी…
इसी क्रम में RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कुछ अन्य अहम बातें भी अपने संबोधन में रखीं। उन्होंने कहा कि – ‘…नई पीढ़ी में हिंदू धर्म संस्कृति का महत्व और आचरण का आग्रह सभी को करना चाहिए।
…यदि युवाओं को धर्म और संस्कृति की गहराई से परिचित कराया जाए, तो वे इसके महत्व को समझेंगे और इसका अनुसरण भी करेंगे। वर्तमान समय में युवाओं को सनातन धर्म, संस्कृति और इसके मूल्यों से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। इस दिशा में परिवार, समाज और धार्मिक संगठनों के संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है।
…समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का प्रचार-प्रसार अनिवार्य है ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी जड़ों से जुड़ी रहें। इसलिए नई पीढ़ी में हिंदू धर्म, संस्कृति और मूल्यों के प्रति आस्था जागृत करने की आवश्यकता है।’

इससे पहले अपने प्रवास के आखिरी दिन सोमवार को दत्तात्रेय होसबाले ने महाकुंभ क्षेत्र की सफाई व्यवस्था में लगे कर्मचारियों से मुलाकात की और उनका सम्मान किया। RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि इन सफाईकर्मियों का योगदान अतुलनीय है, क्योंकि वे इस भव्य आयोजन की पवित्रता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए सत्येंद्र सिंह ने कहा कि वनवासी समाज को मजबूत करने के लिए सभी संतों और सामाजिक संगठनों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि कल्याण आश्रम इस दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है और संतों से अपेक्षा की कि वे भी इसमें सहयोग दें।
संतों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि जनजातीय इलाकों में किस प्रकार विदेशी संगठनों द्वारा धर्मांतरण की साजिशें रची जा रही हैं और किस प्रकार समाज में विभाजन करने की कोशिशें की जा रही हैं। इस कार्यक्रम में यूपी सरकार में स्टांप मामलों के मंत्री रवींद्र जायसवाल भी आम स्वयंसेवक के रूप में शामिल हुए। साथ ही कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह, गंगाधर महाराज और दादू दयाल समेत कई राज्यों से आए 77 जनजातीय संत-महंत मौजूद थे।
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