पटना : राष्ट्रगान मामले पर जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल इमान
के बयान का समर्थन किया है. उपेंद्र कुशवाहा ने बातचीत के क्रम में बताया कि किसी से जबरदस्ती
राष्ट्रगान नहीं गंवाया जा सकता है. उन्होंने सुदुर ग्रामीणों का हवाला देते हुए कहा कि गांव में रहने
वाले कई अनपढ़ लोगों को राष्ट्रगान के बारे में नहीं पता होगा, तो क्या ये देश भक्त नहीं कहलाएंगे.
उपेंद्र कुशवाहा ने इस बात जोर देते हुए कहा कि राष्ट्रगान की जानकारी नहीं होना देशभक्ति का पैमाना नहीं हो सकता.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान गाने से देशभक्ति साबित नहीं होती है. बता दें कि ओवैसी की पार्टी के पांचों विधायकों
ने शुक्रवार को विधानसभा में राष्ट्रगीत वंदे मातरम गाने से मना कर दिया. इतना ही नहीं, विधायकों ने ये भी
कहा कि स्पीकर जबरन राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान गाने की परंपरा थोप रहे हैं.
राष्ट्रगान
दरअसल, इस बार शीतकालीन सत्र के दौरान बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने सत्र के
पहले दिन राष्ट्रगान (जन-गण-मन) और आखिरी दिन राष्ट्रगीत (वंदे मातरम) गाने की परंपरा शुरू की है.
शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन जब राष्ट्रीय गीत गाया जा रहा था, तो उसी दौरान ओवैसी की पार्टी के
पांचों विधायकों ने राष्ट्रीय गीत गाने से इनकार कर दिया.
शीतकालीन सत्र के समापन के बाद AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल इमान
विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा पर जमकर बरसे और राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत की नई परंपरा
थोपने का आरोप लगाया. अख्तरुल इमान ने दलील दी कि संविधान में कहीं भी नहीं लिखा गया है कि
राष्ट्रीय गीत गाना अनिवार्य है. अख्तरुल इमान ने कहा, ‘जिसको राष्ट्रीय गीत गाना है वो गाए.
मगर मेरा सवाल है कि क्या संविधान में राष्ट्रीय गीत गाना अनिवार्य है? राष्ट्रीय गीत गाना ऑप्शनल है.
राष्ट्रीय गीत गाना जरूरी नहीं है हमारे लिए.’
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