दो दिनों में ग्रामीणों ने बुद्ध नदी पर दो सौ फिट लम्बा पुल का किया निर्माण
चतरा : श्रमदान द्वारा पुल निर्माण – सरकार की अनदेखी से परेशान ग्रामीणों ने श्रमदान कर बुद्ध नदी पर पुल बना दिया,
जिसे देखकर इंजीनियर भी हैरान है. ग्रामीणों ने दो दिनों में दो सौ फिट लंबा पुल का निर्माण किया है.
ग्रामीणों ने बुद्ध नदी पर लकड़ी और बांस का पुल बना दिया.
नदी का जलस्तर बढ़ जाने के कारण ग्रामीणों को नदी के उस पार जाने में परेशानी हो रही थी.
गांव पूरी तरह टापू में तब्दील हो गया था.
श्रमदान द्वारा पुल निर्माण -200 लोगों ने बनाया पुल
पुल बनाने में 200 लोगों ने 2 दिनों तक अथक प्रयास किया.
जिसके दम पर लगभग 200 फीट लंबा बांस व लकड़ी का पुल बनाया गया है.
पुल बनने के बाद आज पत्थलगडा के पंचायत प्रतिनिधियों ने फीता काटकर इसका विधिवत उद्घाटन भी कर दिया.
बोगासाड़म के ग्रामीणों ने बताया कि बुद्ध नदी पर पुल नहीं रहने के कारण बरसात के
दिनों में उनका गांव टापू में तब्दील हो जाता था.
जिससे यहां के किसान नदी पार स्थित अपने खेतों में जाकर ना तो खेती कर पाते थे
और ना ही मवेशियों को ले जा पाते थे.
श्रमदान द्वारा पुल निर्माण: एक महीना पहले बह गया था बांस और लकड़ी
इस स्थिति से बचने के लिए गांव के सभी लोग एकजुट होकर श्रमदान से नदी पर बांस और लकड़ी का पुल बनाया है.
एक महीना पहले भी यहां इस नदी पर पुल बनाने का प्रयास किया गया था.
लेकिन नदी में पानी के तेज बहाव के कारण बांस और लकड़ी बह गए थे.
जिससे हतोत्साहित होने के बजाय ग्रामीण एक बार फिर एकजुट हुए और पूरे हिम्मत के साथ और मेहनत से इस नदी पर पुल बना डाला.
सरकार की अनदेखी: नदी का जलस्तर बढ़ने से ग्रामीणों को होती है परेशानी
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल वे एक से दो बार इस नदी पर लकड़ी का पुल बनाते हैं. तेज बहाव आता है और पानी पुल को बहा कर ले जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि बोगासाड़म की आबादी 2000 है और यह नावाडीह पंचायत का एक टोला है. सभी ग्रामीणों का नदी के उस पार खेत है और चरागाह भी उधर ही है. इसी कारण उन्हें मवेशियों को ले जाने में परेशानी होती है. नदी का जलस्तर बढ़ जाने के कारण कई बार मवेशी इस नदी में बह गए हैं और उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है. सबसे ज्यादा परेशानी गांव के स्कूली बच्चों को बरसात के दिनों में स्कूल तक पहुंचने में होती है.
सरकार की अनदेखी: जनप्रतिनिधि और प्रशासन का नहीं मिल रहा कोई सहयोग
बावजूद ग्रामीणों के इस विकट संकट से निजात दिलाने में ना तो जनप्रतिनिधियों ने दिलचस्पी दिखाई है और ना ही प्रखंड प्रशासन ने ही रुचि दिखाई है. बहरहाल इलाके के जनप्रतिनिधि कब जागते हैं और ग्रामीणों को इस जीवंत समस्या से निजात मिलता भी है कि नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा.
रिपोर्ट: सोनु भारती
आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार शिविर में समस्याओं का किया गया समाधान