रांचीः राजधानी रांची समेत पूरे प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर का डर बरकरार हैं । हालांकि अभी जो हालात हैं उसे डाक्टर कोरोना तो नहीं कह रहे मगर रिम्स में हर दिन 400 से ज्यादा बच्चे फीवर के शिकार होकर आ रहे हैं। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि बच्चों को इलाज के लिये बेड तक नहीं मिल पा रहा, जमीन पर बिस्तर लगाकर बच्चों का इलाज किया जा रहा है।
बेड की क्षमता से दोगुने मरीज
राजधानी में वायरल फीवर का कहर बढ़ता ही जा रहा है । सबसे ज्यादा बच्चे वायरल फीवर के शिकार हो रहे हैं । रिम्स से लेकर बच्चों के निजी अस्पतालों तक में वायरल फीवर के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। रिम्स में पिडियाट्रिक मेडिसिन वार्ड में बेड की क्षमता से दोगुने मरीज भर्ती है। रिम्स के पिडियाट्रिक वार्ड में प्रतिदिन 400 बच्चे ओपीडी में आ रहे हैं। ओपीडी में भी प्रतिदिन बच्चों को लेकर आने वालों की भीड़ लगी हुई है। वहीं बच्चों के दो निजी अस्पतालों में भी ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी हुई है। डाक्टरों का कहना है कि इस सीजन में हर साल वारल फीवर के मरीज आते हैं मगर इस साल दस गुणा ज्यादा मरीज देखने को मिल रहे हैं।
दस दिनों तक रह रहा है बुखार
इस बार का ट्रेंड पिछले साल के मुकाबले अलग है। इस बार मरीजों में वायरल फीवर करीब दस दिनों तक रह रहा है, जबकि इससे पहले सिर्फ दो से तीन दिनों में वायरल बुखार चला जाता था, डॉक्टरों के अनुसार जितने बच्चे वायरल से संक्रमित होकर आ रहे हैं। सभी में कोरोना से मिलते जुलते लक्षण हैं पर डाक्टरों का कहना है कि फ्लू और वायरल में सर्दी खांसी ही होती हैं इसलिए कोरोना जांच की जरूरत नहीं है। अगर स्थिति बहुत गंभीर दिखती हैं तभी कोरोना के जांच कराए जा रहे हैं।
जिस तरीके से राज्य में वायरल फीवर से ग्रसित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वो परेशान करने वाली हैं, ऐसे में खुद सावधानीपूर्वक रह कर बच्चों को भी मौसम की मार से बचाया जाए यही एकमात्र रास्ता है।
रिपोर्ट- करिश्मा सिन्हा