नई दिल्ली : वक्फ संशोधन बिल (Wakf Amendment Bill) कल यानी बुधवार की आधी रात लोकसभा (Lok Sabha) में पास हो गया। देर रात करीब 1.56 बजे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) ने ये ऐलान किया। बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े जबकि विरोध में 232 वोट पड़े। अब इसे राज्यसभा में भेजा जाएगा। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सहयोगी पार्टियों ने इस विधेयक का खुलकर समर्थन किया है। वहीं विपक्ष ने बिल का विरोध किया।
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अल्पसंख्यकों के लिए भारत से ज्यादा सुरक्षित दुनिया में कोई जगह नहीं है – किरेन रिजिजू
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए भारत से ज्यादा सुरक्षित दुनिया में कोई जगह नहीं है और वे सुरक्षित हैं, क्योंकि बहुसंख्यक पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष हैं। वक्फ (संशोधन) विधेयक-2025 पर लगभग 12 घंटे तक चली बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रिजिजू ने कहा कि पारसी जैसे छोटे अल्पसंख्यक समुदाय भी भारत में सुरक्षित हैं और यहां सभी अल्पसंख्यक गर्व के साथ रहते हैं।
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हमने वक्फ से छेड़खानी नहीं की है – अमित शाह
बिल पर बहस के दौरान अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि हमने वक्फ से छेड़खानी नहीं की है। वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद के लिए संशोधन किया है। इसकी फंक्शनिंग प्रशासनिक है. वक्फ बोर्ड को धार्मिक क्रियाकलाप नहीं करना है। हम मुतवल्ली को छू भी नहीं रहे हैं। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में वक्फ बिल का विरोध किया और कहा कि ये अनुच्छेद 25, 26 का उल्लंघन है। उन्होंने आगे कहा कि वक्फ बिल मुस्लिमों के साथ अन्याय है।
बिल को पास कराने के साथ ही बीजेपी ने एक कदम से 6 निशाने साध लिए हैं
बिल को पास कराने के साथ ही बीजेपी ने एक कदम से छह निशाने साध लिए हैं। दरअसल, धर्मनिरपेक्षता का चश्मा लंबे वक्त से बीजेपी और बीजेपी सरकार के फैसलों के खिलाफ पहनकर विपक्ष खुद को सेक्युलरिज्म का सियासी चैंपियन दिखाता रहा। लेकिन लोकसभा में वक्फ बिल पर बीजेपी ने वो बैटिंग की है। जिससे राजनीति के मैदान में फिलहाल ये साफ हो गया कि सेक्युलरिज्म की वो परिभाषा नहीं चलेगी, जो विपक्ष चाहता आया है। मुस्लिमों से जुड़े हर फैसले को मुस्लिम विरोध के कठघरे में खड़ा करने की राजनीति अब नहीं चलती। मुस्लिमों को खतरा बताकर वोट की सियासी हांडी हर बार नहीं चढ़ने वाली है। मुस्लिमों से जुड़े मुद्दे पर प्रदर्शन के बहाने फैसले बदलवाने की मंशा अब कामयाब नहीं होती। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के समर्थन के दम पर चलती सरकार को कमजोर समझना विपक्ष को भूलना होगा। विपक्ष को ये बात भी समझनी होगी कि भले इस बार सीट उनकी बढ़ी हैं, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के हाथ से फैसलों की ताकत ढीली नहीं पड़ी।
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