गयाः मानो तो देव.. नहीं तो पत्थर, ये सनातन ही है जहां एक पत्थर भी आस्था का केंद्र बन जाता है। पत्थरों को चमत्कार मानकर पूजा अर्चना होती है। गया के प्राचीन रामसागर तालाब में भी ऐसा ही चमत्कारी चार पत्थर नजर आया है।
शुरुआत में लोगों को समझ नहीं आया कि भला पत्थर पानी में कैसे तैर सकता है। पानी में पत्थर के तैरने की खबर आग की तरह फैल गई और फिर तो रामसागर तालाब के पास लोगों को हुजूम उमड़ पड़ा।
जहां तैरते पत्थर में भी नजर आये राम..उन पत्थरों को देखने पहुंची लोगों की भीड़
तालाब में तैरते पत्थर को लेकर भगवान राम के प्रति भक्ति बढ़ते जा रही थी। रहस्य और धर्म के बीच उठते सवालों के साथ तालाब से पत्थर निकालना तय हुआ। लगा दी लोगों ने तालाब में छलांग, उठा लाये रामसागर तालाब में तैरते चारों पत्थर। लगने लगे जय श्रीराम के जयकारे।
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लेकिन आश्चर्य तो तब हुआ जब तालाब में तैरता हुआ ये पत्थर दो-दो किलो वजनी वाला पाया गया। यानि पानी में डालते ही लकड़ी की तरह तैरना और बाहर निकालते ही वजन दो-दो किलो। तालाब में तैरते पत्थरों से भक्ति का मार्ग जुड़ा पत्थर में लोगों को श्रद्धा नजर आई।
पानी में तैर रहा पत्थर, बाहर निकालने पर वजनदार…
अब इसे चमत्कार कहें या ऊपर वाले की माया कहें या लोगों की भक्ति। रामसागर तालाब में मिले इस पत्थर को पाकर लोग भी कहने लगे ऐसा चमत्कार भी प्रभु श्रीराम ही दिखा सकते हैं। इसलिए तो रामसागर तालाब में मिले इन पत्थरों में किसी को राम नजर आये। किसी को मां जानकी तो किसी को लक्ष्मण।
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पानी में तैर रहे पत्थरों को निकालकर होने लगी है पूजा
गया के रामसागर तालाब में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। भगवान विष्णु की धरती पर राम नाम का ये पत्थर लोगों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है। होंगे वैज्ञानिक वजह पानी में तैरते इन पत्थरों में, होगी वैज्ञानिक तरीके से पानी में तैरते इस पत्थर की तुलना। लेकिन सनातन में जिनका विश्वास हैं उन्हें पत्थर में भी राम दिख जाते हैं। मां जानकी दिख जाती हैं..ऐसे ही विश्वास के साथ पानी में तैरते इन पत्थरों की पूजा होने लगी है।