आज हम बात करेंगे कटिहार लोकसभा सीट की. कटिहार लोकसभा क्षेत्र में मतदान दूसरे फेज में 26 अप्रैल को होंगे.
कटिहार में 2024 का लोकसभा चुनाव जदयू और कांग्रेस के बीच होगा. कटिहार में कांग्रेस ने 5 बार से पूर्व सांसद और दिग्गज नेता तारिख अनवर पर दांव लगाया है. वहीं जदयू ने मौजूदा सांसद दुलाल चंद्र गोस्वामी को चुनावी मैदान में उतारा है.
कटिहार लोकसभा मुस्लिम बहुल क्षेत्र है यहां लगभग 35 प्रतिशत मुस्लिम धर्म के वोटर हैं. कटिहार एक समय में तारिख अनवर का गढ़ माना जाता था, तारिख यहां से 5 बार सांसद रह चुके हैं. कांग्रेस ने इस सीट को वापस पाने के लिए तारिख अनवर पर दांव खेला है. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जदयू और कांग्रेस के बीच दुलाल और तारिख के बीच ही मुकाबला हुआ था. दुलाल ने 57 हजार 203 वोटों से तारिख अनवर को मात दी थी.
कटिहार लोकसभा सीट में 6 विधानसभा की सीटें आती हैं जिसमें कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी और बरारी है. यहां 2 सीट बीजेपी, 2 कांग्रेस,1 जदयू और 1 सीपीआईएमएल के पास है.
कटिहार में ताराकिशोर प्रसाद बीजेपी से विधायक हैं, कदवा से शकील अहमद खान कांग्रेस विधयक है. बलरामपुर में सीपीआईएमएल का कब्जा है, महबूब आलम विधायक है. प्राणपुर से बीजेपी की निशा सिंह , मनिहारी में कांग्रेस से मनोहर प्रसाद सिंह और बरारी से जदयू के बिजय सिंह सहनी विधायक हैं.
कटिहार में मुस्लिम वोटरों के अलावा 11 प्रतिशत यादव, 8 प्रतिशत सामान्य, 16 प्रतिशत वैश्य, 18 प्रतिशत पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा वर्ग और 6 प्रतिशत अनुसूचति जाति और जनजाति के वोटर हैं जो निर्णायक भूमिका में होते हैं.
कटिहार लोकसभा सीट की इतिहास पर नजर डालें तो यहां शुरुआती दौर में कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन वर्तमान में यह सीट जदयू के पास है.
1957 में अवधेश कुमार सिंह ने कांग्रेस की टिकट से पहली जीत हासिल की.
1958 के उपचुनाव में भी कांग्रेस के भोला नाथ विश्वास जीते.
1962 में कटिहार सीट प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के हाथों में गई , प्रिया गुप्ता यहां से सांसद बनी.
1967 में यहां कांग्रेस ने वापसी की और सीताराम केसरी जीते.
1971 के चुनाव में ज्ञानेश्वर प्रसाद यादव ने भारतीय जनसंघ के टिकट से जीतकर दिल्ली पहुंचे.
1977 के चुनाव में कटिहार में जनता पार्टी ने परचम लहराया युवराज सांसद बने.
1980 और 1984 के चुनाव में दोनों बार लगातार कांग्रेस ने जीत हासिल की और दोनों ही बार तारिख अनवर ने अपनी जीत दर्ज की.
1989 में जनता दल ने फिर वापसी की और युवराज दूसरी बार संसद पहुंचे.
1991 के चुनाव में कटिहार की सीट जनता दल के झोली में गई और युनूस सलीम जीते.
1996 और 1998 में कांग्रेस की टिकट से तारिख अनवर ने लगातार 2 बार जीते.
1999 में कटिहार लोकसभा सीट में भाजपा ने अपनी पहली जीत दर्ज की और निखिल कुमार चौधरी सांसद बने.
2004 में भी निखिल कुमार चौधरी भाजपा के टिकट से जीते.
2009 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाई और निखिल कुमार चौधरी ने तीसरी बार भी जीत हासिल की.
2014 के लोकसभा चुनाव में तारिख अनवर ने एनसीपी के टिकट से जीत दर्ज की.
बता दें तारिख अनवर ने 1999 में कांग्रेस छोड़कर एनसीपी का दामन थामा था. 1999 में तारिक अनवर एनसीपी के टिकट पर कटिहार से चुनाव मैदान में उतरे. लेकिन बीजेपी के निखिल चौधरी के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी. लेकिन 2014 के मोदी लहर के बावजूद एनसीपी नेता तारिक अनवर जीतने में कामयाब रहे.
2018 में तारिख अनवर ने एनसीपी को छोड़कर फिर से एक बार कांग्रेस का हाथ थामा और 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में कटिहार से चुनावी मैदान में उतारे लेकिन उन्हें जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी से हार का सामना करना पड़ा.
अब 2024 को लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मुकाबला जदयू और कांग्रेस के बीच होगा, कटिहार की जनता किसे संसद पहुंचाएगी ये तो 4 जून को ही पता चलेगा.