सिल्ली विधानसभा सीट: इस बार त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबला, कौन मारेगा बाजी?

सिल्ली विधानसभा सीट: इस बार त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबला, कौन मारेगा बाजी?

रांची: झारखंड की राजनीति में सिल्ली विधानसभा सीट एक बार फिर से हॉट सीट बन गई है। आगामी चुनाव में यहां से कौन विजयी होगा, यह सवाल सबसे बड़ा बना हुआ है। सिल्ली को सुदेश महतो का गढ़ माना जाता है, जिन्होंने इस सीट पर साल 2000 से अपना प्रभुत्व बनाए रखा है। हालांकि, इस बीच वह दो बार हार भी चुके हैं। पिछली बार, 2019 में सुदेश महतो ने सिल्ली से एक बार फिर से जीत दर्ज की थी, जब उन्होंने सीमा देवी को 20,195 वोटों से हराया था। इस बार चुनावी समीकरणों में कई नए चेहरे और गठबंधन उभरते नजर आ रहे हैं, जो इस मुकाबले को और भी रोचक बना रहे हैं।

सिल्ली के पिछले चुनावी आंकड़े:

  1. 2000: सुदेश महतो ने पहली बार चुनाव लड़ा और 14,538 वोटों से जीत हासिल की।
  2. 2005: आजसू के टिकट पर 19,000 वोटों की बढ़त से फिर से विजयी रहे।
  3. 2014: अमित महतो (जेएमएम) ने 2,974 वोटों से जीत दर्ज की और सुदेश महतो को पराजित किया।
  4. 2019: सुदेश महतो ने एक बार फिर वापसी करते हुए सीमा देवी को 20,195 वोटों से मात दी।

मुख्य दावेदार:

  1. सुदेश महतो (आजसू): पिछले दो दशकों से सिल्ली की राजनीति में उनका दबदबा रहा है। हालांकि, उन्हें इस बार कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है।
  2. अमित महतो (जेएमएम): 2014 में जीतने वाले अमित महतो इस बार फिर से मुकाबले में उतर सकते हैं।
  3. देवेंद्रनाथ महतो (जेएलकेएम): तीसरा मोर्चा भी इस बार सक्रिय हो चुका है, और देवेंद्र महतो का नाम इस सीट पर उभरता हुआ नजर आ रहा है।

कुर्मी वोटर्स का प्रभाव: सिल्ली सीट पर कुर्मी वोटर्स की संख्या 34.5% है, जो किसी भी उम्मीदवार की जीत या हार तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, अनुसूचित जनजाति के वोटर्स की संख्या भी 31.3% है, जिससे जेएमएम को फायदा होने की उम्मीद है। इस बार कुर्मी वोट किसके पाले में जाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।

चुनौतीपूर्ण राह: सुदेश महतो के लिए इस बार की राह पिछली बार की तुलना में अधिक मुश्किल हो सकती है, क्योंकि तीसरा मोर्चा (जेएलकेएम) भी मैदान में उतर चुका है। देवेंद्र महतो और अमित महतो के साथ-साथ अन्य उम्मीदवारों के बीच मुकाबला त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय हो सकता है।

सिल्ली की सीट इस बार त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबले की ओर बढ़ रही है। कुर्मी और ट्राइबल वोटर्स का विभाजन इस चुनावी जंग को और भी रोमांचक बना सकता है। ऐसे में सिल्ली की जनता को तय करना है कि वे इस बार किसे अपना नेता चुनते हैं।

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