Friday, August 1, 2025

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केंद्र के सहयोग से बिहार आत्मनिर्भर बिहार की तरफ बढ़ा रहा तेजी से कदम, कृषि क्षेत्र में…

केंद्र के विशेष पैकेज ने दी बिहार को विकास की नई उड़ान। कृषि, कौशल, भंडारण और मत्स्य क्षेत्र में दिखा असर। डबल इंजन की सरकार के सहयोग से योजनाएं जमीन पर उतरीं, आत्मनिर्भर बिहार की ओर बढ़ते कदम

पटना: बिहार में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है और इसकी बुनियाद केंद्र सरकार के विशेष पैकेज से जुड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित इस विशेष पैकेज के तहत राज्य में कई महत्त्वाकांक्षी योजनाएं शुरू हुईं। जिसका सीधा असर कौशल विकास, कृषि, मत्स्य पालन और भंडारण जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर दिख रहा है। राज्य सरकार के सक्रिय सहयोग से इन योजनाओं ने धरातल पर आकार लिया और आज बिहार आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से कदम बढ़ा रहा है।

कौशल विकास: लक्ष्य से 6 गुना अधिक युवाओं को मिला प्रशिक्षण

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के तहत बिहार में 1 लाख युवाओं के प्रशिक्षण का लक्ष्य तय किया गया था। जबकि 6.33 लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षण देकर यह लक्ष्य कई गुना पार किया जा चुका है। इस पर कुल 508.40 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसके अलावा, पावर सेक्टर में 11,894 उम्मीदवारों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। जिस पर 14.75 करोड़ रुपये का निवेश किया गया।

कृषि अनुसंधान को मिली नई पहचान

बिहार को कृषि क्षेत्र में भी बड़ा समर्थन मिला। पूसा को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के साथ ही मोतिहारी में एकीकृत खेती प्रणाली पर राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई, जिस पर 62.25 करोड़ रुपये खर्च हुए। इससे राज्य में वैज्ञानिक खेती को नई दिशा मिली है।

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मत्स्य पालन में ‘ब्लू रेवोल्यूशन’ का असर

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के अंतर्गत राज्य में तालाब, बीज पालन केंद्र और मछुआरों के घर बनाए गए। जिन पर 31.96 करोड़ रुपये खर्च हुए। साथ ही 5.13 करोड़ की लागत से मछली रोग परीक्षण लैब और आधुनिक खुदरा मछली बाजार विकसित किए जा रहे हैं। ये योजनाएं न केवल उत्पादन बढ़ाएंगी बल्कि किसानों की आय में भी इजाफा करेंगी।

जल प्रबंधन और कृषि यंत्रीकरण में ठोस पहल

राज्य में 32,577 हेक्टेयर भूमि पर सूक्ष्म सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। जिसकी लागत 165.96 करोड़ रुपये है। कृषि यंत्रीकरण के लिए 117.67 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। हालांकि बीज परियोजना की 16.7 करोड़ की राशि तकनीकी कारणों से वापस करनी पड़ी।

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भंडारण क्षमता में इज़ाफा: गोदाम और साइलो का निर्माण

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अंतर्गत 25 जगहों पर 2.84 लाख मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम बनकर तैयार हुए हैं, जिन पर 247.64 करोड़ रुपये खर्च हुए। दरभंगा, समस्तीपुर और कटिहार में 1.50 लाख मीट्रिक टन क्षमता के साइलो का निर्माण हुआ है, जिसकी लागत 135 करोड़ रुपये रही।

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यहां बनेंगे गोदाम

PEGS योजना के तहत सीतामढ़ी, शेखपुरा, आरा, गोपालगंज, सहरसा, नालंदा, हाजीपुर और समस्तीपुर में कुल 1.20 लाख मीट्रिक टन क्षमता के गोदामों का निर्माण कार्य जारी है। इसकी अनुमानित लागत 104.7 करोड़ रुपये है। साथ ही, बिहार के 16 स्थानों पर 7.25 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाले साइलो बनाए जा रहे हैं, जिन पर 652.5 करोड़ रुपये की लागत आंकी गई है।

आत्मनिर्भर बिहार की दिशा में निर्णायक कदम

केंद्र सरकार के विशेष पैकेज और राज्य सरकार के प्रतिबद्ध प्रयासों ने बिहार को न केवल विकास की रफ्तार दी है, बल्कि आत्मनिर्भरता और रोजगार सृजन की दिशा में भी ठोस आधार दिया है। आने वाले वर्षों में यह साझेदारी बिहार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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