ये है गांगुली Vs शास्त्री वाया विराट

ये है गांगुली Vs शास्त्री वाया विराट : टी20 वर्ल्ड कप और उसके बाद हालिया दक्षिण अफ्रीका दौरे के दौरान और अब उसके बाद जो कुछ देखने को मिल रहा है, वो ये बताने को काफी है कि भारतीय क्रिकेट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा. भारतीय क्रिकेट से जुड़े कुछ लोगों के अहं की लड़ाई, भारतीय क्रिकेट को कितना नुकसान पहुंचा रही है, इसका अंदाज़ा शायद उन्हें भी नहीं है.

विराट कोहली के टी20 की कप्तानी छोड़ने से शुरू हुई ये लड़ाई उनके टेस्ट कप्तानी छोड़ने के बाद भी बदस्तूर जारी है. किसी के “टोस्ट” पर “बटर” लगाने के लिए ‘नही’ बने रवि शास्त्री (जैसा उन्होंने कहा था) जिस तरह से विराट कोहली के लिए बैटिंग कर रहे हैं उससे वो अनजाने में ही सही ना सिर्फ पूर्व के कुछ महान खिलाड़ियों को छोटा दिखाते दिख रहे हैं बल्कि विराट को भी एक कमज़ोर व्यक्ति के रूप में दिखा रहे हैं, जो अपनी लड़ाई नही लड़ सकते या मानो वो कोई ‘बेचारे’ हों जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है.

क्या शास्त्री वास्तव में विराट की लड़ाई लड़ रहे हैं या वो सौरभ गांगुली के साथ 2016 का स्कोर सेटल कर रहे हैं
सौरभ गांगुली

ये सब देख कर लोग ये सोंचने पर विवश हो रहे हैं कि क्या शास्त्री वास्तव में विराट की लड़ाई लड़ रहे हैं या वो सौरभ गांगुली के साथ 2016 का स्कोर सेटल कर रहे हैं। दोनों के बीच विवाद तब का है जब रवि शास्त्री की जगह अनिल कुंबले को कोच बनाया गया था. तब रवि शास्त्री ने आरोप लगाया था कि जब वो स्काइपी से इंटरव्यू दे रहे थे तो तब कोच चुनने वाली क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य गांगुली उपस्थित नही थे. इस पर सौरभ गांगुली ने कहा था कि अगर शास्त्री को पद पाने में इतनी दिलचस्पी थी तो उन्हें इंटरव्यू के लिए ख़ुद उपस्थित होना चाहिए था.

उस वक़्त कोच नही बनाए जाने की ‘टीस’ शायद रवि शास्त्री के मन में अभी भी है. विराट के टेस्ट और टी20 की कप्तानी से इस्तीफ़े और ओडीआई से कप्तानी से हटाए जाने को शास्त्री, शायद गांगुली से हिसाब चुकता करने के अवसर के रूप में देख रहे हैं.

इसी कड़ी में कुछ दिनों पहले, शास्त्री ने कहा था कि वह समझते हैं कि कुछ लोगों को विराट की सफलता नहीं पचती है. कुछ लोगों को यह हजम नहीं होता है विराट कोहली कैसे टीम इंडिया के सफल कप्तान बन गए? शास्त्री के इस बयान पर संजय मांजरेकर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रवि शास्त्री की बातों से साफ जाहिर है कि वह अपना कोई एजेंडा चला रहे हैं.

अगर वास्तव में कुछ ऐसा है तो यह भारतीय क्रिकेट के लिए शुभ संकेत नही. क्रिकेट से जुड़े बड़े से बड़े शख्स या खिलाड़ी को समझना होगा कि खेल किसी भी खिलाड़ी या व्यक्ति से बड़ा है. किसी का भी अहं भारतीय क्रिकेट के हित से बड़ा नही हो सकता.

आलेख : राकेश रंजन कटरियार

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