कांटे की टक्कर में फंसेंगी लोकसभा की 118 सीटें, काराकाट और कटिहार इसमें शामिल

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डिजीटल डेस्क : बुधवार शाम लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए प्रचार का दौर खत्म होते ही सामने आए एक ओपिनियन पोल ने सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के धुरंधरों के माथे पर पसीना ला दिया है। कारण यह है कि इसमें बताया गया है कि देश में कुल 118 लोकसभा क्षेत्रों में इस बार जीत और हार के बीच मत प्रतिशत का अधिकतम अंतर पांच फीसदी ही रहेगा। यानी कांटे की टक्कर होगी। ऐसे में ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है। इसी ओपिनियन पोल ने 400 पार का दावा कर रहे एनडीए की अगुवा भाजपा को चिंता में डाला है लेकिन राहत भी दी है। इसमें कहा गया है कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों को पूर्ण बहुमत मिलेगा लेकिन सीटों की कुल संख्या पौने चार सौ तक भी नहीं पहुंच पाने की संभावना प्रबल है। इस सर्वे के अनुसार, एनडीए को 362 सीटें मिल सकती हैं। साथ ही इसी में बताया गया है कि उक्त कांटे की टक्कर वाली सीटों में से इस समय इंडी गठबंधन 59 तो एनडीए 42 और अन्य 17 पर करीबी लड़ाई में आगे निकलने की स्थिति में हैं।

झारखंड के राजमहल सीट पर भी कांटे की टक्कर

कांटे की टक्कर में इसी ओपिनियन पोल में कई सीटों पर भाजपा जीतती हुई बताई जा रही है लेकिन अंतिम क्षणों में तनिक भी गणित बदलते ही नतीजा बदलने की प्रबल आशंका है। इसी के देखते हुए इस सर्वे के आधार पर चिन्हांकित सीटों को लेकर प्रमुख राजनीतिक दलों ने वहां अपनी जमीनी किलेबंदी को आखिरी मौके पर मजबूत करने में जुटे हैं ताकि जीत का सेहरा उन्हीं के प्रत्याशी के सिर पर सजे। झारखंड में ऐसी कांटे की टक्कर वाली सीट राजमहल बताई गई है। यहां से जेएमएम विजय हांसदा प्रत्याशी है। वह वर्ष 2014 और 2019 में इसी सीट से सांसद निर्वाचित हो चुके हैं। गत दोनों बार वह अच्छे अंतर से जीते थे लेकिन इस बार के ओपिनियल पोल में उनकी जीत का अंतर ढाई फीसदी से भी कम करीब 2.39 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है जो कि गत बार करीब साढ़े नौ फीसदी रहा था। उनके खिलाफ इस बार यहां से भाजपा से ताला मरांडी प्रत्याशी हैं।

बिहार में काराकाट और कटिहार में भी है करीबी लड़ाई

ऐसी दो सीटें बिहार में बताई गई हैं। इनमें काराकाट और कटिहार शामिल हैं। काराकाट में भोजपुरी स्टार पवन सिंह की दावेदारी के बाद लोगों की निगाहें वहां लगी हैं। सभी वहां के जाति समीकरण के अलावा अन्य बातों की आकलन करने में जुटे हैं। इस बीच ओपिनियन पोल के सर्वे में लिए गए ताजा सैंपल के विश्लेषण के आधार पर बताया गया है कि भोजपुरी स्टार लोगों के बीच लोकप्रिय तो हैं लेकिन चुनावी बयार में बिना किसी ब्रांडेड राजनीतिक बैनर के वह लड़ाई की मुख्य धारा में उस तरह नहीं आ पा रहे जैसा कि मीडिया में हाइप बनाया गया है। वहां जीत और हार का अंतर ढाई फीसदी से भी कम वोट का रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। मुख्य मुकाबला आरएलएम और सीपीआईएम के बीच ही होता हुआ बताया गया है। इसके अलावा कटिहार में कांग्रेस और जदयू में कांटे की टक्कर में ढाई फीसदी से तनिक ज्यादा मतों से राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के लिए खतरा बताया गया है।

यूपी के पूर्वांचल में कई सीटों पर लड़ाई दिलचस्प

दिल्ली की सत्ता का राह जिस उत्तर प्रदेश से होकर जाने की बात राजनीतिक हलके में कही जाती है, वहीं के पूर्वांचल में इस बार कई सीटों पर सर्वे में कांटे की लड़ाई का अनुमान व्यक्त किया गया है। इसमें रॉबर्ट्सगंज, गाजीपुर, जौनपुर और घोसी लोकसभा सीटें शामिल हैं। इनमें से घोसी सीट पर राज्य सरकार में मंत्री और सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर के बेटे एनडीए से मैदान में हैं। यहां सर्वे में जीत-हार का अंतर एक फीसदी से कम वोट (करीब 0.87 फीसदी) के रहने का आंका गया है। जौनपुर लोकसभा सीट पर भी कांटे की लड़ाई है। यहां से पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं लेकिन सर्वे में सपा मजबूत बताई जा रही है। यहां भाजपा की ओर से भी जबरदस्त टक्कर देने का बात कही गई है और जीत-हार का अंतर चार फीसदी से भी कम रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

रॉबर्ट्सगंज सीट पर सपा को अपना दल से झटका लगने का इस सर्वे में अनुमान व्यक्त किया गया है। यहां जीत-हार का अंतर महज 1.77 फीसदी ही रहने का अनुमान है। इसी तरह यूपी की गाजीपुर सीट जीत-हार का अंतर तीन फीसदी से कम (करीब 2.24 फीसदी) रहने का अनुमान है। साथ ही यहां गत दिनों जेल में स्वास्थ्य बिगड़ने से हुई मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर वोटरों में सहानुभूति की लहर दिख रही है जो भाजपा के लिए खतरे का संकेत है। यहां से सपा से अफजाल अंसारी मैदान में हैं जो दिवंगत मुख्तार अंसारी के भाई हैं। उनके मुकाबले भाजपा से पीएन राय मैदान में हैं। दूसरी ओर पश्चिमी यूपी में कैराना सीट भाजपा के लिए चिंता का सबब हो सकती है क्योंकि सर्वे में यहां जीत-हार का अंतर आधा फीसदी से भी कम (0.31 फीसदी) रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

बंगाल में तीन तो असम में दो सीटों पर नजदीकी लड़ाई

इसी ओपिनियन पोल में पश्चिम बंगाल और असम को लेकर भी तस्वीर सामने लाई गई है। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई है लेकिन सर्वे में तीन सीटों पर ही कांटे की टक्कर होने की बात सामने आई है। वहां बर्धमान-दुर्गापुर सीट पर भाजपा का पलड़ा भले ही मजबूत आंका गया हो लेकिन मार्जिन साढ़े तीन फीसदी से भी कम रहने का अनुमान है। कांथी सीट का भी यही हाल आंका गया है जबकि कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी अपने परंपरागत सीट बहरामपुर में मजबूत पाए गए लेकिन उनके भी जीत का अंतर साढ़े चार फीसदी से कम ही रहने का अनुमान है। असम में भी दो सीटें ऐसी हैं जहां हार-जीत का अंतर 5 फीसदी से कम होने का अनुमान है। सर्वे के अनुसार, जोरहाट पर राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा तो धुबरी सीट पर इंडी गठबंधन का पलड़ा भारी है लेकिन जीत का मार्जिन ढाई से सवा चार फीसदी ही रहने का अनुमान है।

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