बोकारो: बिभिन्न सेक्टरों में वट सावित्री पूजा बड़ी ही धूम-धाम से महिलाओ द्वारा की गई। महिलाए अपनी पति की लम्बी आयु के लिए सत्यवान-सावित्री के साथ यमराज की कथा सुनी।
कथा सुनने के बाद महिलाओ ने वट वृक्ष मे सूत को चारो ओर परिक्रमा कर लपेटी ओर पूजा अर्चना कर अपने पति की लम्बी आयु की कामना की. वही पूजा अर्चना करवा रहे पंडित ने बताया की यह पर्व महिलाओ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस दिन पत्नी अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए ये व्रत रखती है।
यह पर्व ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के दिन मनाया जाता है। पुराणों मे भी बताया गया है कि इसी दिन सावित्री ने अपने पति को यमराज से लौटा लाई थी तभी से ये व्रत महिलाओ के द्वारा मनाया जा रहा है।
वहीं ब्रती महिला ने कहा की वट सावित्री पूजा मे पहले सावित्री, सत्यवान और यमराज की मूर्ति वट वृक्ष के नीचे हमलोग बनाते है. उसके बाद वट वृक्ष की जड़ में जल, फूल-धूप और मिठाई से पूजा की जाती है।
यह व्रत हमारे लिए खास है.इसके बाद कच्चा सूत लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए सूत तने में हमलोग लपेटते है. फिर भीगा चना लेकर सावित्री सत्यवान की कथा सुनते है।
उसके बाद पत्नी बट वृक्ष के बाद अपने पति को पंखे हाँककर अर्शीवाद लेती है. वही पति के द्वारा पत्नी को अन्न-जल ग्रहण करवाकर व्रत की उपवास तोड़वाते है।
बाघमारा: गजलीटॉड़ में सुहागिनों ने पति की दीर्घायु के लिए विधि विधान के साथ कि वट सावित्री की पूजा,मांगी मन्नते। वट सावित्री पर्व सुहागिनों ने अपने पति की दीर्घायु एवं अच्छे स्वास्थ्य की कामना किया।
पारंपरिक श्रृंगार के साथ सुहागिन महिलाओं ने बांस की डलिया में पूजन सामग्री लेकर वट सवित्रि पुजन अनुष्ठान विधि विधान के साथ कि।
जेठ के भीषण गर्मी के चील चिलाते धूप के बीच नंगे पैर पूजा की डाली लिए सुहागिनी मंदिर और बरगद के पेड़ों तक पहुचती है और पूजन करती है।
वट सावित्री पूजन के संबंध में सुहागिनी फूल देवी ने बताया कि आज के ही दिन सावित्री ने बरगद पेड़ के नीचे अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज को शास्त्रगत सवालों से प्रसन्न कर वापस प्राप्त की थी।
इसी मान्यता के साथ अपने सुहाग की रक्षा व पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर सुहागिन वट सावित्री का पूजन और व्रत करती है।