नवादा/नालंदा/लखीसराय/गोपालगंज/बाढ़/खगड़िया/मुंगेर : राजधानी पटना सहित बिहार के अलग-अलग जिलों में भी आज यानी 26 मई को वट सावित्री की पूजा हो रही है। नवादा, नालंदा, गोपालगंज, बाढ़, खगड़िया, मुंगेर और लखीसराय जिले में आज यानी सोमवार को अहले सुबह से ही सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री की पूजा करने में जुटी रही और बरगद के वृक्ष में कच्चा सूत बांधकर अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिए कथा सुनी। बता दें कि सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत को विशेष महत्वपूर्ण माना गया है।
सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की, साथ ही निर्जला व्रत किया
इस शुभ अवसर पर सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की, साथ ही निर्जला व्रत किया है। पूजा के दौरान बरगद के पेड़ में कच्चा सूत बांधी। बताते चलें कि हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं की अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है। साथ ही पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है।
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नालंदा जिले में वट सावित्री पूजा के मौके पर सुबह से ही महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी
नालंदा जिले में वट सावित्री पूजा के मौके पर सोमवार को सुबह से ही महिलाओं की भारी भीड़ वट वृक्ष के नीचे उमड़ पड़ी। पारंपरिक परिधान में सजी-संवरी सुहागिन महिलाओं ने अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए श्रद्धा एवं भक्ति के साथ व्रत रखा और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की।सुबह से ही महिलाएं पूजा की थाली, फल-फूल, पूजन सामग्री एवं मिट्टी से बने सावित्री-सत्यवान की मूर्ति लेकर वट वृक्ष के नीचे पहुंचीं। उन्होंने वटवृक्ष की परिक्रमा की और अपने सुहाग की रक्षा के लिए व्रत कथा सुनी।


मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दिन सावित्री ने अपने तप व संकल्प से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे
मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दिन सावित्री ने अपने तप और संकल्प से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। उसी की स्मृति में यह व्रत किया जाता है। पूरे वातावरण में श्रद्धा और आस्था का माहौल दिखा। महिलाओं की आस्था और पूजा के प्रति समर्पण देखते ही बन रहा था। पंडितों के अनुसारस हालांकि इस बार वट सावित्री पूजा ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 26 मई यानी आज दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 27 मई यानी कल सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर होगा।
वट सावित्री पूजा के अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने की पूजा
लखीसराय जिले के विभिन्न स्थानों पर सुबह से ही सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री व्रत के अवसर पर बरगद वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना की। इस संबंध में सुहागिन महिला आरती कुमारी ने बताया कि यह पूजा पति की लंबी आयु एवं स्वस्थ रहने के लिए की जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम लोग बड़े हर्ष उल्लास के साथ इस पर्व को मानते हैं। सर्वप्रथम वट वृक्ष के नीचे हम लोग बरगद वृक्ष का पूजन करते हैं। उसके बाद परिक्रमा लगाते हैं और ईश्वर से पति की लंबी आयु की कामना करते हैं। इस संबंध में आचार्य हर्ष पांडे ने बताया कि वट सावित्री पर सुहागिन महिला प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के अमावस्या तिथि कृष्ण पक्ष को मनाया जाता है। इस पर्व में सुहागिन महिला वट वृक्ष के नीचे श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना करती हैं और ईश्वर से पति की लंबी आयु एवं स्वस्थ रहने की कामना करती हैं।


पूरे देश के साथ गोपालगंज में भी आज सुहागिन महिलाएं कर रही है वटवृक्ष का पूजा
आज देशभर में वट सावित्री पूजा श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जा रही है। गोपालगंज में सुहागिन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा कर पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना कर रही हैं। व्रती महिलाएं व्रत रखकर सुबह से ही वट वृक्ष की परिक्रमा करती हुईं नजर आ रही हैं। सावित्री-सत्यवान की कथा सुनकर पूरे दिन पूजा आराधना में रहेंगी। मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने अपने तप, श्रद्धा और बुद्धिमत्ता से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे। तभी से यह व्रत अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है। पूजा स्थल पर भक्ति का विशेष माहौल है।


वट सावित्री पूजा : बाढ़ अनुमंडल के कई जगहों पर सुहागिन महिलाओं की उमड़ी भीड़
वट सावित्री पूजा के पावन अवसर पर सोमवार सुबह 10 बजे बाढ़ के उमानाथ में हजारों सुहागिन महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस खास दिन पर महिलाओं ने गंगा नदी में स्नान कर वट वृक्ष की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। वट वृक्ष के तने में धागा लपेटकर परिक्रमा करने के साथ ही महिलाओं ने कथावाचक के पास बैठकर सावित्री-सत्यवान की पौराणिक कथा सुनी। शास्त्रों के अनुसार, वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। मान्यता है कि सावित्री ने इस व्रत के बल पर अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लौटाए थे।
इस पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व महिलाओं के बीच उत्साह और श्रद्धा को और बढ़ाता है
इस पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व महिलाओं के बीच उत्साह और श्रद्धा को और बढ़ाता है। उमानाथ में पूजा के दौरान माहौल भक्ति और उल्लास से भरा रहा। गंगा तट पर स्नान और पूजा के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी, जिससे श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो। स्थानीय प्रशासन ने भी भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए थे। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाता है, बल्कि पति-पत्नी के अटूट बंधन और प्रेम का प्रतीक भी है। बाढ़ के इस आयोजन में शामिल महिलाओं ने व्रत और पूजा के माध्यम से अपने परिवार की सुख-शांति की कामना की।
पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनों ने किया वट सावित्री व्रत
खगड़िया में वट सावित्री व्रत को लेकर काफी भीड़ देखने को मिल रहा है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। खगड़िया में वट वृक्षों के नीचे पूजा अर्चना कर पति के लंबी उम्र की प्रार्थना की। सैकड़ों की संख्या में सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत के मौके पर पूजा-अर्चना करने जुटी। वहीं पूजा कराने आए पुजारी ने इस पूजा के महत्व के बारे में समझाया कि पति की लंबी उम्र, बच्चे की रक्षा और सुख समृद्धि होती है।


आज के दिन पतिव्रता सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापस ले आई थी
मुंगेर में महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए सोमवार को वट सावित्री की पूजा कर वट वृक्ष में रक्षा सूत्र बांध महिलाएं सौभाग्यवती होने का वर मांगती है। वट सावित्री पूजा में महिलाएं बांस का पंखा, आम, लीची, खीरा, केला, सेव, नारियल, मिसरी और बदाम आदि वट वृक्ष को चढ़ावा चढाते है। महिलाएं ने पूजा के समय सेल्फी भी ली। व्रत कर रही महिला सोनी देवी, गायत्री देवी, वार्ड सदस्य ममता देवी, कंचन देवी, कल्पना देवी और मुन्नी देवी आदि सुहागन महिलाएं ने कहा कि व्रत को करने से बरगद पैड़ की तरह पति की लंबी आयु होती है।


सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और संतान के कुशल भविष्य के लिए रखती है
वही पंडित मदनेश्वर झा ने कहा कि हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है वट सावित्री पूजा जिसे सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और संतान के कुशल भविष्य के लिए रखती है। यह व्रत सुहागन महिलाएं बरगद के वृक्ष का पूजन करती हैं और अपने वैवाहिक जीवन के लिए वट वृक्ष का पूजन करती हैं। जिसमें सुहागन महिलाएं बांस का बना पंखा एवं डाला के साथ ही बरगद के वृक्ष की पूजा भी करती है जो महत्वपूर्ण माना जाता है। सुहागिन महिलाएं उस दिन भूखे प्यासे रह कर अपने पति की लंबी आयु एवं वैवाहिक जीवन में आने वाले सभी कष्ट बधाएं दूर करने के लिए करती है। पंडित झा कहते है कि यह पूजा जेष्ठ माह के अमावश्या को किया जाता है। इसमें सभी सुहागन महिलाएं बरगद के वृक्ष का पुजन करती है। इसी दिन पतिव्रता सावित्री ने अपने पति को सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापस ले आई थी। तभी से इस दिन को वट सावित्री व्रत के रुप में पति के लंबी आयु के लिए किया जाता है।
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अनिल कुमार, विश्वनाथ गुप्ता, शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव, विकाश कुमार, राजीव कुमार, गौतम कुमार और मिथुन कुमार की रिपोर्ट
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