जनार्दन सिंह की रिपोर्ट
डिजीटल डेस्क : दुनिया का फूड बॉस्केट बनने में जुटा भारत, इस साल 11.55 मिलियन टन अधिक खाद्यान्न उत्पान का लक्ष्य। शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में देश के सभी राज्यों के कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ हुए सम्मेलन में भारत सरकार ने खेती-किसानी के क्षेत्र में तेजी से किसान हितकारी कृषि की नीतियों को अमलीजामा पहनाने की योजना को क्रियान्वित करना तय किया है।
इसी क्रम में तय हुआ है कि भारत में खाद्यान्न भंडार को बढ़ाया जाए ताकि यह जरूरत पड़ने पर दुनिया के लिए फूड बॉस्केट बन सके। इसी क्रम में इस साल भारत ने अपने खाद्यान्न उत्पान के लक्ष्य को बढ़ाया है और तय किया है कि इस साल 11.55 मिलियन टन अधिक खाद्यान्न का उत्पादन किया जाएगा।
दलहन-तिलहन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने पर काम शुरू
सम्मेलन के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से मुखातिब होकर कृषि संबंधी तय अपने सरकार के लक्ष्य एवं उस संबंधी तय नीतियों के क्रियान्वयन की संक्षेप में चर्चा की।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि – ‘…हम कैसे देश के खाद्यान्न के भंडार को भरें और जरूरत पड़े तो पूरी दुनिया का फूड बॉस्केट भारत बने, इस प्रयत्न में हम लगें हैं। अभी हमने वर्ष 2024-25 के खाद्यान्न उत्पादन का राष्ट्रीय लक्ष्य तय किया है – 341.55 मिलियन टन।
पिछली बार यह 330 मिलियन के आसपास था। इस बार सबने मिलकर तय किया है 341.55 मिलियन टन उत्पादन।
…हमने दलहन और तिलहन में देश को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प प्रारंभ किया है। और इसीलिए हमने पहली शर्त रखी है – किसानों को अच्छा बीज देना। इसके लिए किसानों को मिनी किट देने का अभियान प्रारंभ किया है’।

सरसों, चना, मूंगफली, उड़द, मूंग, मसूर, मक्का, ज्वार की पैदावार बढ़ाने पर पूरा फोकस
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा कि – ‘खाद्यान्न उत्पान के तय नए टारगेट को पूरा करने के लिए इंटर क्रापिंग, कृषि के विविधीकरण, क्षेत्र बढ़ाने के साथ-साथ कम उपज वाले क्षेत्रों में ज्यादा उपज वाली वैरायटी की शुरूआत हम करेंगे।
…और उपयुक्त कृषि पद्धतियां अपनाते हुए उत्पादकता को बढ़ाएंगे और अपने लक्ष्य को पूरा करेंगे। विशेषकर रबी की फसलों में सरसों, चना, मूंगफली, उड़द, मूंग, मसूर, मक्का, ज्वार आदि के उत्पादन पर जोर दिया जाएगा।
इसलिए बीज उत्पादन का व्यापक कार्यक्रम बनाया है जिसमें ब्रीडर सीड से फाउंडेशन सीड और सर्टिफाइड सीड जल्दी बने और किसान को मिल जाए।
हमने क्लीन प्लांट प्रोगाम, नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम, इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट स्ट्रेटजी और डिजीटल एग्रीकल्चर पर भी विस्तार से सम्मेलन में राज्यों के साथ चर्चा की है’।

तीसरे कार्यकाल में 3 गुना शक्ति से काम कर रहे प्रधानमंत्री, कृषि और किसान कल्याण हैं प्राथमिकता में…
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी क्रम में आगे कहा कि –‘…प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में 3 गुना ज्यादा शक्ति से काम करने का संकल्प लिया है।
और कृषि का क्षेत्र अगर आप देखेंगे तो पिछले लगभग 131 दिनों में कृषि के विकास और किसान के कल्याण के जो फैसले लिए गए हैं…अपवाद छोड़के कोई भी कैबिनेट बैठक ऐसी नहीं रही जिसमें से जुड़ा कोई विषय ना आया हो। कृषि के विकास और किसानों के कल्याण पर चर्चा न हुई हो।
सरकार की प्राथमिकता है उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, उपज का ठीक दाम देना, नुकसान हो जाए तो भरपाई करना, कृषि का विविधीकरण और फिर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना, ये हमारे संकल्प हैं।
हमने तीसरा कार्यकाल प्रारंभ होते ही फसलों की 109 नई किस्में किसानों को समर्पित की थी यानी किसानों को बीज मुहैया कराया’।
इस सम्मेलन में राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर और भागीरथ चौधरी सहित केंद्रीय एवं सभी राज्यों के कृषि विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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